September 27, 2016

I Wanted Only A Little by Jane Hirshfield

I wanted, I thought, only a little,
two teaspoons of silence—
one for sugar,
one for stirring the wetness.

No.
I wanted a Cairo of silence,
a Kyoto.

In every hanging garden
mosses and waters.

The directions of silence:
north, west, south, past, future.

It comes through any window
one inch open,
like rain driven sideways.

Grief shifts,
as a grazing horse does,
one leg to the other.

But a horse sleeping
sleeps with all legs locked. 

Jane Hirshfield 



September 25, 2016

Story - Aadhe Adhoore: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra ( Streaming on Jio Saavn App)


Story Title: Aadhe Adhoore 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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ये जाते हुए दिसम्बर की एक सर्द रात थी। आसमान के ज़िस्म पर...बिछे अनगिनत तारों को मानो ठिठुरन से बचाने के लिए...सफेद कोहरे ने अपने अंदर समेट लिया था...। रात के बारह बज चुके थे....भले मुम्बई की सड़को पर अक्सर शोर रहता था...लेकिन राह चलते लोगों की आँखों में मुझे ना जाने क्यूँ हमेशा एक कशमकश...एक खामोशी ही दिखती। 

मैं, माया...अपनी बिल्डिंग के बाहरवे माले पर बने...इस बारह बाय दस के कमरे में...बत्तीस मोमबत्तियों की झिलमिलाती रोशनी के बीच घिरी...कभी लौ की तपिश...तो कभी एक कंपक़ंपी महसूस कर रही थी। एक बार फिर मैंने मोमबत्तियों को गिनना शुरु किया...इस बार इक गहरी सांस के साथ...एक दो तीन....ह्म्म पूरी पैंतिस ही थी।

पिछले सात सालों से ऐसे ही तो मनाती आ रही थी...मैं अपना जन्मदिन सबसे दूर..एकदम तन्हा...साथ के लिए होती भी थी...तो बस यही झिलमिलाती...मोमबतियाँ और कुछ बदलता था तो...इनकी साल दर साल बड़ती संख्या और इसके साथ....मेरी पल-पल पिघलती उम्र। 


Short Story - Woh Hamasafar Tha : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra ( On Jio Saavn App)


Story Title: Woh Hamsafar Tha 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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आज फिर मेरी रात चाँद की पहरेदारी करते गुज़र गयी थी जैसे सिया के जाने के बाद अक्सर, मेरी रातें गुज़रा करती थीं...दम तोड़ती हुई, खामोशियों को थोड़ा और खामोश करती हुयीं।

मैंने खिड़की से बाहर नज़र डाली...सूरज आसमान पर गुलाबी रंग से तस्वीर खींचने में लगा था। लेकिन मेरी ज़िदंगी की तस्वीर के मानो हर रंग फीके पड़ गये थे। मेरी नज़र कमरे की दीवार पर टंगे एक कोलॉज़ पर ठहर गयी...जिसमें मैंने अपने अतीत के जीते-जागते लम्हे सहेज़ रखे थे।

ये तस्वीरें ही तो थी, जो मुझे जीवित होने का अहसास करवाती थीं। कभी मेरे होंठों पर मुस्कान रख जाती तो कभी जबां पर रख देती...एक बर्फ-सा ठिठुरता नाम सिया
सिया के साथ शादी का एक साल पूरा करने के बावजूद, प्रखर यानि मैंने जब उसकी गोद भराई पर उसके काधें पर अपनी हथेली टिकाई तो वो कुछ सकुचा गई थी, मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए उसकी नज़रें झुक गयी। वो खूबसूरत पल कैमरे में कैद हो चुका था, वो पल उतना ही जीवित था....उतना ही सच्चा, जितनी सिया की सुरीली आवाज, उसका वो संगीत...उसकी वो धीमी-धीमी गुनगुनाती सांसे..। 


Short Story - Saanson Ki Mala Mein : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra ( On Jio Saavn App )


Story Title: Saanso ki Mala Mein 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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उस दिन साँची के रिश्ते की बात पक्की हुई तो बोली—“माँ, नो शो-ऑफ प्लीज़....सब सादगी से होगा ना? यह कहते हुए उसने अपने काँपते हाथों से मेरी हथेली को थाम-भर लिया था। मेरे साथ-साथ उसने भी ताउम्र एक कड़वा सच जिया था। चिंतन हमारी गुजरती हर साँस का हिस्सा होते हुए भी हमारे साथ नहीं थे। जल्द ही सब समझने लगी थी वो, माँ के अहसाओं को उम्र से पहले पढ़ना सीख रही थी। बेटी कम एक हमकदम दोस्त ज्यादा थी और आज उससे दूर होने की कल्पना-मात्र मेरे अंदर एक सिरहन पैदा कर रही थी।

महीनों की भाग-दौड़ चन्द लम्हों में सिमट गई। सामने सांची सिर झुकाए, पायल की रून-झुन झंकार लिए दहलीज़ की ओर बढ़ रही थी। तो मन ना जाने कैसे-कैसे सवालों से घिर गया क्यूँ विदा करते हैं लोग बेटिय़ाँ? ये कैसे दकियानुसी रिवाज़ हैं...जो अपने जिस्म के टुकड़े को एक दिन परायेपन का तमगा थमा, उसकी जड़ से अलग-थलग कर देते हैं?  

मेरी नज़रें उसकी नज़रों पर टिकी थी। कितना मनाना पड़ा था उसे शादी के लिए। उसके हर एक तर्क को मैंने अपनी बाईस साल की तपस्या का वास्ता देकर चुप तो करा दिया था, लेकिन उसके हाथों से छूटती मेरी उंगलियों की पकड़ और उसका वो अचानक से उस बंद होते शीशे से झांकना मुझे खाली-सा कर गया। साँची विदा हो गई। 


Story - Saat Samandar Paar : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra ( On Jio Saavn App)

हवा में ठंडक थी। अलसाई रात को नर्म बादलों में समेट, खिड़की से झीनी-झीनी सुबह झांक रही थी। मेरा मन अधखुली आँखों पर चादर डाले करवटों के इर्द-गिर्द कुछ ख्वाब बुनने लगा, ख्वाब...जो उस शाम विनय ने मेरी इन गहरी पलकों पर रख दिए थे। उस दिन ऑफिस-मीटिंग के बीच में अपनी बॉस की नज़रें बचाकर उसने मुझे मैसेज किया
पैकिंग करना शूरू कर दे मेरी एलिज़ाबेथ, वी आर गोइंग टू कैनेडा...सून उस सून की स्पैलिंग में लगे बीसीयों ‘ओ’ विनय की खुशियों का पता मेरे होंठों को दे रहे थे। खुश थी मैं, इन बीते आठ महीनों से ज़िंदगी जैसे मुझपर मेहरबान थी।

राजस्थान से नोएडा और नोएडा से राजस्थान के बीच अपनी ज़िंदगी के बाईस साल काटने वाली रेवा, यानि मैं पहली बार परदेस जा रही थी। । मेरी आने वाली ज़िंदगी अपने दायरे से निकलकर नए साज...नई धुनों पर थिरकना चाहती थी।

इस बीच विनय ने मेरी सैँडल हील्स से लेकर, मोबाईल की रिंगटोन तक बदल डाली थी लेट मी बी योर हीरो..। पार्टीज के दौर चलने लगे थे। उधर वो अपने दोस्तों से, कैनेडा में ढाई साल के प्रोजेक्ट की बँधाईयाँ समेट रहा था और इधर मैं चन्द सूकून भरे लम्हें...या कहूँ जरा-सी हिम्मत तलाश कर रही थी।

Story Title: Saat Samandar Paar
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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Story - Meri Sudha : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra


Story Title: Meri Sudha 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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उसकी आँखें किताबों की बुक्शेल्फ को यूँ अपलक निहार रही थीं...जैसे दरख्त की उस अलमारी में किताबें नहीं कुछ ज़िंदगियाँ लिपटी हुई हों। कभी उसके लब किताब की एक-दो लाईन्स दोहरा लेते, तो कुछ किताबों का हल्का-सा स्पर्श पाकर उसके चेहरे पर सुकून-भरी लकीर खिंच जाती।

वही सादा सा लिबास...गहरी आखों में हल्का काजल, बेशक सूट की जगह खादी की एक स्टार्च्ड सफेद साड़ी ने ले ली थी और उस पर बेतरतीबी से बिखरे हुए छोटे-छोटे गुलाब जैसे... माली काका ने अभी-अभी अपनी फूलों की टोकरी खाली की हो। बाल भी कुछ लम्बे हो गये थे, एक ढ़ीली-सी चोटी उसके सफेद आँचल में लुका-छिपी का खेल, खेल  रही थी।

मेरी ट्रेन जो कोटा से चलकर जयपुर तक जाने वाली थी। अभी-अभी माधोपुर-स्टेशन पर ठहरी थी। प्लेटफॉर्म पर हलचल थी, कोई पानी की बॉटल के जुगाड़ में लगा था....तो कोई ट्रैन की हर खिड़की तक आवाज़ लगाते हुए दाल-बड़े बेच रहा था।  

लेकिन रेलवे स्टेशन से ज्यादा हलचल मेरी नज़रों में थी। मैंने ट्रैन की इस छोटी-सी खिड़की से, इतनी भीड़ के बावजूद स्टेशन के बुक स्टोर पर एक ऐसा चेहरा देख लिया था, जो मुझे फिर से मेरे अतीत में सिमटी यादों के गलियारों में ले जा रहा था।


मैं अपनी ट्रैन से उतरकर, बेतहाशा भाग रहा था...ढूंढ़ रहा था उस जाने पहचाने चेहरे को, जो मेरे अस्तितव में एक अज़ीब हलचल पैदा कर गया था।



 

Story - Lamhe Guzar Gaye : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra ( On Jio Saavn )


Story Title: Lamhe Guzar Gaye 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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उम्र की दहलीज़ पर एक और दिन ढल रहा था। शाम के सात बज चुके थे। मैं इस कॉटेज़ की बॉलकनी में खड़ा...सामने फैले उस लाल सूरज़ को समुद्र में डुबकियाँ लगाते देख रहा था।

अकेला, चुप, खाली...आज हाथों में ना तो कोई काम था, ना ही कोई ऑफिस की फाईल। बस बालकनी की इस रेलिंग को कसकर थामे जैसे मैं भागते वक़्त को...रोकना चाह रहा था। थामना चाह रहा था उन लम्हों को, जो पिछले तीन सालों से एक रिश्ते का चेहरा ढूंढते हुए मुसाफिर-से हो गए थे।

जैसे-जैसे सूरज रात की बाहों में समाने लगा, तो शोर मचाती अवारा लहरें भी अलसाने लगी जैसे शाम ढलने पर वो भी अपने घर लौट आयी हों, मेरी तरह...।
नहीं...ये घर, ये कॉटेज़ मेरा नहीं था। मैं, तो अपनी ज़िंदगी में पहली बार केरला आया था, पहली बार समुद्र देखा था, गीली रेत पर बिखरी सिपियाँ देखी थी, पहली बार कोई बीच देखा था।

और पाँच दिन के लिए, इस केरल बीच पर, जिसके साथ आया था वो अंदर कमरे में लेटी हुई थी। मैंने पलटकर खिड़की की ओर देखा तो गुलाबी परदों के पीछे से उसकी वो हल्की-सी झलक मिली। वो ऊन के किसी नर्म गोले की तरह बिस्तर में सिमटी पडी थी। परदों से छनकर आती रोशनी के टुकड़े उसकी आँखों पर ठहरे थे और रेशमी बालों की वो लम्बी-सी चोटी बिस्तर से नीचे की ओर ढलकी हुई थी, वो पूर्वी थी...मेरी पत्नी। 

Story - SIRFIRA :Qisson Ka Kona with Neelesh Misra ( On Jio Saavn )


Story Title: Sirfira 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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आज मौसम कुछ भीगा था। सुबह से होती रिमझिम बारिश...और तेज़ हो गई थी। मैं इस होटल के कमरे में खड़ी थी, खिड़की पर सिर टिकाए बूंदो की इस झड़ी के थमने का इंतज़ार कर रही थी। ना जाने क्या सोचकर मैंने खिड़की के काँच को सरकाते हुए हाथ बाहर निकाला तो बारिश की भीनी खुशबू लिए कुछ बूंदे हथेली पर ठहर-भर गई।

ज़हन में अबीर का ख्याल गूंज गया। बारिशे कितनी पंसद थी उसे। सामने कांच पर छितरी बूंदों के बीच जैसे कुछ अक्स से उभरने लगे। कहीं बारिश के पानी में पैरों से छपाके मारता अबीर था, तो कहीं कागज़ की नाव बनाकर उसे हाथ से आगे ढकेलता अबीर। वो कहता था ये बारिशें नहीं सुलगते दिलों का हैल्थ-ड्रिंक है और हंसते हुए मुंह खोलकर हर-एक बूंद को खुद में समेटने की कोशिश करता। उसकी यहीं नादानियाँ मुझे उसके इतना करीब ले आएगीं...ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।

September 24, 2016

मनचला - यूपी की कहानियाँ विद नीलेश मिसरा


पिछले दिनों नीलेश मिसरा जी के शो "यूपी की कहानियाँ विद नीलेश मिसरा" के लिए कहानी लिखी थी  मनचला  
जिसका प्रसारण 1 सितम्बर 2016 को 92.7 Big Fm, 91.9 Radio Mantra, 93.5 Red Fm पर हो चुका है। 

  



September 11, 2016

किताब समीक्षा: इश्क़ तुम्हें हो जाएगा - अनुलता राज नायर

शीर्षक: इश्क तुम्हें हो जाएगा
लेखक: अनुलता राज नायर
प्रकाशक: हिन्दी युग्म
विधा: कविता संग्रह
पृष्ठ: 96
आईएसबीएन: 9789381394861
रेटिंग: 4/5

इश्क तुम्हें हो जाएगा, अनुलता राज नायर जी का कविता संग्रह कुछ दिन पहले ही पढ़ने का मौका मिला। हांलाकि लेखक से मेरा परिचय तीन साल पहले उनके चर्चित व्लोग से हुआ था। ब्लोग पर पचासों कविताएँ, कहानियाँ हिन्दी का इतने प्रभावी ढंग से लेखन और संकलन मिलना उन दिनों अज़ूबे जैसा था। कई दिनों तक ब्लोग पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराती रही।

अब जब एक अंतराल के बाद उनकी कविताओं की किताब हाथ में आई तो वो छोटे से सपने के सच होने जैसा था। मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का सवसे खूबसूरत पहलू कविताएँ होती हैं और अनुलता जी की हर कविता इस मानक पर खरी उतरती है। साधारण से शब्दों में अपने दिल का हाल कह देना इतना भी मुश्किल नहीं होता. यह बात इनकी कविताएँ पढ़कर महसूस हुई। बस अपने दिल को नज़रों से होते हुए कागज़ पर उकेरना होता है।

कहीं पर उम्र की उस दहलीज़ पर कदम रखती लड़की दिखी जिसके लिए प्यार एक अनदेखा, अनकहे अहसास जैसा हैं, कहीं पर एक स्त्री के मन के हजारों ख्वाब बाहें फैलाए हवा से तेज़ भागती ज़िंदगी को समेटते दिखे। कुछ कविताएँ दिल पर मरहम का काम करती हैं, तो कुछ जहन में बैचेनी छोड़ जाती हैं।

जब भी मैं कोई अच्छी किताब पढ़ती हूँ तो पूरी होने से पहले थोड़ा ठहर जाती हूँ सोचती हूँ कि इस किताब को फिर से कब पढूँगी, इश्क तुम्हें हो जाएगा एक ऐसी ही किताब है, अपने तकिए के पास रखकर सो जाने वाली। जब भी मन करे किताब का कोई भी पृष्ठ खोलकर खुद के लिए जरा सूकून तलाश करने वाली।

दिल से चाहती हूँ कि अनुलता जी की दूसरी किताब भी जल्दी आए। इस बार क्या पता वो अपनी भावनाओं को, जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को कहानियों का लिबास पहनाकर हमारे हाथों में दे दें। जीवन को गति इन्हीं कहानियों और कविताओं से तो मिलती हैं। ढेर सारी शुभकामनाएँ!

यहाँ इसी किताब के कुछ कविताएँ साझा कर रही हूँ

मेरे हाथों मे तुम्हारा हाथ
यानि
अवसर, संभावना, खुशी
तुम्हारे कांधे पर टिका मेरा सर
यानि
प्यार आशा जादू
तुम्हारा मेरे करीब होना
यानि
ज़िदंगी ज़िदंगी ज़िदंगी
           —      ज़िदंगी

गुज़ारिश है मेरी खुशी से
कि मिला कर मुझे कभी
ऐसे ही
बिना कोई सौदा किए
बिना किसी शर्त के
जैसे तितली आ बैठती है
यूँ ही
किसी फूल पर
  —  गुज़ारिश

प्रेम का एक पल
छिपा लेता है अपने पीछे
दर्द के कई बरस
कुछ लम्हो की उम्र ज्यादा होती है बरसो से
   —  प्रेम की प्रकृति  

परेशां हूँ
जाने कहाँ खो सी गई हूँ
खोजती हूँ खुद को
यहाँ वहाँ खुद में तुम में
हैरां हूँ
तुम्हारे भीतर भी नहीं हूँ
रात तुम्हारी नींद को भी टटोला नहीं
तुम्हारे ख्यालों में भी नहीं
आखिर कहाँ गुम हुई मैं तुम्हें पाने के बाद
              —      तलाश

लेखक के बारे में:
अनुलता राज नायर हिन्दी कविता जगत का एक सुप्रसिद्ध चेहरा हैं। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में भोपाल में रहकर अपने लेखन कार्य से जुड़ी हुयीं हैं। दैनिक भास्कर, अहा ज़िदंगी, कादम्बिनी और अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कविताएं तथा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। नीलेश मिसरा के रेडियो शो के लिए पचास से उपर कहानियाँ लिख चुकी हैं। इश्क तुम्हें हो जाएगा अनुलता जी का पहला कविता संग्रह है।   

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Book Review: Love Bi the Way by Bhaavna Arora

Title: Love Bi the Way
Author: Bhaavna Arora
Publisher: Penguin Books
ISBN:  9780143425298
Genre: Fiction, Romance, LGBT
Pages: 239
Rating:  4/5

Love is like the truth everyone has their own version, the heart has its own justifications for love especially the one the world denies. Rihana and Zara had fallen in love, and they were now each other’s truth.

INTRO

What a thrill to find such a book which comes to you naturally, you just flow with the words wrapped into emotions. Love Bi the Way is an unputdownable piece of work. Although it is my second read by Bhaavna Arora. Past Year, I have enjoyed Mistress of honour, based on the army kids and their lives. Here I want to state that when in recent times every author comes with contemporary romance novels, Bhaavna Arora wins the hearts by exploring the different themes, without lacking the fun of reading.
If I say Love Bi the Way is the LGBT read that would be wrong. Although theme was based on the love relation shared between two women but it is more than that.
Love Bi the Way is the story of bondage of human emotions, exploration of different facets of friendship, societal norms, disheveled morality and freedom.   

STRUCTURE

Basically it is a story of two girls Rihana and Zara. They became roommates by chance and friends by choice but how this bonding leads to make them lover? When I started reading this book, I was amazed to see that both the girls carry different persona, Zara is shy who gets hesitated evertime Rihana cracks a not-so-usual-joke, Zara behaves under societal pressures whereas Rihana was a free chirpy bird, a painter by profession, who takes life as it comes, Rihana has the ability to lighten any serious situation with her indomitable spirit. twist comes into the story when Rihana trying to solve the issues of Zara’s past and helping her get back to life but zara realized that this all-go-happy girl Rihana also has a dismembered past which is more tragic than hers. 

Plus there is a Dog, named Tiger, this story can’t be complete without the presence of that four-legged angelic character, if you are a pet lover, you instantly feel the connection. 




I loved how Author Bhaavna Arora weaved the most controversial and unconventional topics with myriads of punches and humour that makes this book undoubtedly profound.  It stirred up the soul as well as entertaining.
  
NARRATION

The best thing about Narration of Love Bi the Way that while picking up the most controversial topic, story doesn’t categorize anything, there are child abuse, intimate scenes, a ruffled marriage but author showed them in such a manner that provide freedom, readers think without any preconceived notion. Language is so simple, flows in one direction, you don’t want to stop. If you going to spend a lovely weekend with a book, You can consider this gorgeously queer piece.  

READER’s MOMENT 
How can you give happiness if your account is empty? I know your life has been chaotic, but chaos also takes a concrete form at some point and that form can be divine and evil. It is up to you to choose, according to me the most powerful weapon to end a war is forgiveness. The human mind is a wonderful thing; it forgets pain after some time.

Loyalty is the rarest yet the most desired virtue in a relationship and I believe that there is something drastically wrong with one’s character if opportunity controls your loyalty

When a heart seeks love, the world cannot stop it, as no higher principle should govern it.

Many a time you start blaming yourself for the things that didn’t go right with you and you end up fighting with your own self, in such a scenario, external help has its limitations, she need more internal motivation , a chunk of her has been taken away by the incidents in her life.

You can only be alive in every moment when you are living on the edge.

ABOUT AUTHOR

Bhaavna Arora is the bestselling author of the Deliberate Sinner and Mistress of Honour. Before her foray into writing, she was heading a business school as a director; she also trains students and professionals on leadership. She holds two management degrees and a Ph.D. in Leadership from Pittsford University. 

A fourth-generation army kid, Bhaavna is a true patriot. She enjoys reading, travelling, swimming, horse riding and playing sports and has a fancy for big bikes and cars.

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Love Bi the Way:


September 05, 2016

Book Review: Library of Luminaries: Frida Kahlo: An illustrated Biography by Zena Alkayat


Title: Library of Luminaries: Frida kahlo  
Author: Zena Alkayat
Illustrator: Nina Cosford
Publisher: Chronicle books LLC
ISBN: 9781452150239
Genre: Biography, Non Fiction
Pages: 135
Rating:  5/5

The moment I started reading this book I knew this would be an indescribable piece of art and book proved me right. Basically Zena alkayat described a life history of Frida Kahlo in a most beautiful manner. I didn’t know anything about frida except that she was a flawless painter who had lived her artistic charm.

But when we take glance an artist we only observe the upper surface where the success blossoms, we forget to unfold their life history. And literally I was in tears when I was going through this book. how could someone paint grief. Life was tough for her, beyond our imagination still she lived it gracefully.  

“I believe that by working i will forget the sorrows and i will be able to be a little happier.”

“my paintings are the most frank expression of myself, without taking into consideration either judgments or prejudices of anyone.''

It is strength to laugh and to abandon oneself, to be light. —Frida Kahlo

Illustrations are so beautiful that you don’t feel to stop in middle. How an accident shattered her childhood, she had been living not only with physical pain but she struggled with the pain in relationships. She was a painter but more than that She was a Lover, An inspiration, A Life with creative Vision. 




ABOUT AUTHOR

Zena Alkayat is a journalist, author, and editor based in London.