Story Title: Sirfira
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra
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आज मौसम कुछ भीगा था। सुबह से होती रिमझिम
बारिश...और तेज़ हो गई थी। मैं इस होटल के कमरे में खड़ी थी, खिड़की पर सिर टिकाए बूंदो की इस झड़ी के
थमने का इंतज़ार कर रही थी। ना जाने क्या सोचकर मैंने खिड़की के काँच को सरकाते हुए
हाथ बाहर निकाला तो बारिश की भीनी खुशबू लिए कुछ बूंदे हथेली पर ठहर-भर गई।
ज़हन में अबीर का ख्याल गूंज गया। बारिशे कितनी पंसद थी उसे। सामने कांच पर छितरी
बूंदों के बीच जैसे कुछ अक्स से उभरने लगे। कहीं बारिश के पानी में पैरों से छपाके
मारता अबीर था, तो कहीं कागज़ की नाव बनाकर उसे हाथ से आगे ढकेलता अबीर। वो कहता था
“ये बारिशें नहीं
सुलगते दिलों का हैल्थ-ड्रिंक
है” और
हंसते हुए मुंह खोलकर हर-एक बूंद को खुद में समेटने की कोशिश करता। उसकी यहीं
नादानियाँ मुझे उसके इतना करीब ले आएगीं...ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।