July 10, 2014

धुंधले पड़ते लफ़्ज़


Photo Courtesy : Vivek Arya 


हर उस लफ़्ज़ को आयत मानकर पड़ता, 
जिस पर ठहर जाती थी उंगली तेरी..

मेरी किताबों पर पसरते तेरे साये में,
मेरी लेखनी पर झाँकती तेरी मुस्कान में,
अपना सुनहरा भविष्य देखा करता था मैं..

तेरी काँच की रंग-बिरंगी चूड़ियों से
नाजाने कितने ही सूरज बना डाले थे मैंने,
जिन्हे आकाश दिया था तेरे ममत्व ने..

अब जब तू एक तस्वीर में
सिमट कर रह गयी है, तो..

तेरी यादों की पाकीज़गी को,
मेरे उपर की गयी तेरी कवाय़द को,
सफ़हा दर सफहा जमाने की कोशिश करता हूँ...
तो मेरे एहसास
आँसू बन चूम लेते है
उस कागज़ को..  

धुंधला पड़ता हर लफ्ज़, 
यही कहता दिखता है
तू अब कुछ-कुछ माँ जैसा लिखता है ..!!



- अंकिता चौहान 

July 05, 2014

With Love ..!

Photo Courtesy : Google


I am that painting
which meant to be unfinished,
You picked up the brush and
filled me with soulful colours.

I am that music piece
which meant to be lost,
You touched my heart chimes and
sang it like I’m your favorite rhyme.

I am that heena plant
which meant to be crushed,
You made me the most beautiful flower
and burdened my eyes with love.


- Ankita Chauhan