Showing posts with label पंखुड़ियाँ. Show all posts
Showing posts with label पंखुड़ियाँ. Show all posts

December 22, 2015

कविता - खनकती ख्वाहिशें


वह सपने देखती है, 
जागती आँखों से ज़िंदगी के और आँख मूँद कर किताबो के। 
वह बेसुध थिरकती है, 
कभी बाबा की डाँट पर तो कभी माँ के दुलार पर। 
हर इंकार पर थोड़ा सहम जाती है, 
अपनी ख्वाहिशों के पंख समेट इंतज़ार करती है...
मजबूत करती है 
हर वो पक्ष 
जो उसे अपने सपने के शायद और करीब ले जाए। 
कहने को बच्ची है.. 
लेकिन अपना बचपन, काफी पहले पीछे छोड़ आती है। 
लादी हुई समझदारी से.. 
जब खुद को परेशान पाती है तो 
नादानियों की झील में 
एक डुबकी लगा, 
बस एक कहानी गड़ लाती है...।  

- अंकिता चौहान (आज सिरहाने के लिए लिखी गई थी)  

September 05, 2015

शिक्षक : एक कविता

शिक्षक वह पुल है जो आपकी उंगली थामकर
आपको अज्ञानता के अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाता है।

शिक्षक वह आयाम है जो आप पर अपनी राय थोपे बिना
आप जिदंगी में क्या करना चाहते हैं, उसको निखारने में मदद करे।

शिक्षक वह दिशा है जब सभी रास्ते बंद नज़र आये तो
अर्जित किया ज्ञान पुंज, आप के अंदर प्रज्वलित कर सके।

शिक्षक वह मुस्कान है जो आपकी हर सफलता को सराहे
साथ ही असफलता के दौर से जूझने का साहस दे।

शिक्षक वह शख्स है जो आपको अंकगणित सीखाते हुए

आपके जीवन की अभिन्न कविता बन जाए! 

- Ankita Chauhan 




July 17, 2015

बेफिक्र

Photo Courtesy : Aruna Di

सब कुछ पा लेने की जद्दोज़हद में बेफिक्रलफ्ज़ के मायने ही भुला चुके हैं हम। बेफिक्र या तो बचपन था या ये रिमझिम बरसती बारिशें, जब भी इनका जिक्र होता है तो जाने कहाँ से धीमी-धीमी चाल में वही बेफिक्री ख्यालों में आकर, दस्तक देती है, हर बार मिलती है एक नये ही पैगाम के साथ।

सावन आने में अभी लगभग एक महीना बाकी है, लेकिन बादल भरने लगे है, इनकी गड़गड़ाहट, संदेशा है शायद खेतों के लिए प्रकृति का, और हम यहाँ वही सोलह पंक्तियों का ई-मेल पाकर खुश हो जाते है।

बारिश के आने भर का अहसास ही ज़हन में उमंगों को जन्म देता है। वो धुली-धुली सी पत्तियाँ खुशियों का इज़हार करती दिखती हैं जैसे माँ ने अपने नन्हे को नए कपड़े पहना दिए हो, अंगड़ाइयाँ लेती बेलें विस्तार पाने लगती हैं। 

राग मल्हार के ऊँचे-नीचे सुर बांधते पंछियों की वह चहचहाहट जैसे इन रंग-बिरंगे पक्षियों ने खुद को ही असाइन्मेंट दे डाला हो हमें उन्मुक्त ज़िन्दगी के फलसफे से अवगत कराने का। 

फूलों से लदी
, हिलोरे लेती टहनियों और  नाज़ुक पंखुड़ियों पर पानी के मोती से बिछ जाते हैं, दिल करता है इन नन्ही नन्ही बूँदों को किसी तिनके में पिरो, डाल लूँ हाथों में किसी कंगन की तरह। खनक भले सुनाई ना दे, लेकिन सच्चाई में लिपटी एक बेफिक्र मुस्कान जरूर खिलेगी, इन उदास लम्हों में..! 



- Ankita Chauhan 

May 27, 2015

Uljhan (Raat Pashmine Ki)





उलझन

एक पशेमानी रहती है
उलझन और ग़िरानी भी
आओ फिर से लड़कर देखें
शायद इससे बेहतर कोई
और सबब मिल जाए हमको
फिर से अलग हो जाने का..

April 08, 2015

Pankhuri

Photo Credit : Google
1.
बूंद भर इश्क़
सुलगते अल्फाज़ सी वो,
होठों पर ठहरी दुआ
क़भी उर्दू की आवाज़ सी वो..


2.
ख्वाहिशों की बज़्म में
खामोश सी शरर
निस्बतों की भीड़ में
तेरा रूह-ए-शहर..


- Ankita Chauhan




June 13, 2014

Book Review : “पचास कविताएँ – नयी सदी के लिए चयन”


“ Never judge a book by its cover”  यह पंक्तियाँ कई बार नज़रों के सामने से गुज़री पर अनुभव करने का अवसर पहली बार मिला।

नन्दकिशोर आचार्य जी ने अपने इस कविता संग्रह पचास कविताएँ नयी सदी के लिए चयन
में अलग ही दुनिया रच दी है, ज़िन्दगी को एक नये रूप में अलंकृत किया है। प्रथम पृष्ठ पर बिखरे अहसास आपको बाँधे रखते हैं पुस्तक के अंतिम पृष्ठ तक !
इस कविता संग्रह का सबसे खूबसूरत मोती है  झूठ नही हो जाता प्यार 
इसके अतिरिक्त...

बाँसुरी: मोरपंख
.... ये अंतर क्या कम है
कि तुम्हारा संगीत
मेरी विवश्ता है
और मोरपंख का सौन्दर्य
तुम्हारी ?
बुरा ना मानना
कि अब मैं
तुम्हारी बाँसुरी नहीं रहा ।

वह बात
... बिन मेरे तुम
गुमसुम नहीं भी हो गर
तो कैसे हँस रही होगी ।

सपने नहीं हैं तो
एक एक कर निकालती गयीं
वे सपने मेरी नींद में से तुम
और बनाती गयीं जागते में मुझको
अपने सपने-सा ।

भाषा से प्रार्थना
वह’- एक शब्द है
एक शब्द है- तुम
भाषा से मेरी
बस यही प्रार्थना है
तुमको वहना कहना पड़े

झूठ नहीं हो जाता प्यार
हमेशा नहीं चाहे
पर कई बार
जब तुम्हे प्यार कर रहा होता हूँ
तो कौंध जाता है अचानक
वह चेहरा
जिसे तब नहीं जान पाया
कि मैं प्यार करने लगा हूँ
और तब भी
झूठ नहीं हो जाता प्यार
जो मुझे तुमसे है
बल्कि तुम और सुन्दर
और प्यारी हो जाती हो !


ऐसी ही कई खूबसूरत कविताओं से गुँथा हुआ ये कविता-संग्रह अविस्मरणीय है।

April 03, 2014

पंखुड़ियाँ - 4


Photo Courtesy : Google 

1.

शाम को महका 
वो तेरा 
इक ख़्याल,
रात की स्याही में
सवाल बन 
छुप गया ॥


2.

कल रात 
महक गया फिर 
ख़्वाब तेरा,

भोर तलक 
तेरे पास रहने का, 
मुझे फिर गुमां रहा ॥


- अंकिता चौहान  

March 23, 2014

पंखुड़ियाँ - 3

Photo Courtesy - Google 

1.

लौट कर इक बार फिर ..
अपने वादों को सच्चा कर, या
मेरी सांसों को झूठा कर जा ॥


2. 
दिल पर ज़ख्म
इस कदर दिये जाते हैं,
ज़िन्दगी चन्द लम्हों का
किस्सा हो जैसे ॥


3. 
हाथों की इन बेमानी लकीरों से
प्यार है मुझे,
ये उस वक़्त भी साथ थीं,
जब ज़रूरत थी तेरी ॥


4. 
ना पूछ कैसा आलम था
बिछड़ते हुए जब उसके दिल को,
मरहम दिया . . मेरे अश्कों ने ॥


5. 
कल रात फिर
तेरी यादों की महफिल सज़ी,
हर अश्क़ मेरा
तेरी हथेली को तरसा रात भर ॥


- अंकिता चौहान

March 16, 2014

पंखुड़ियाँ – 2

Photo Courtesy - Google

1.

इन आयतों में अक्सर तेरा अक्स ढूंढ़ते हैं,
सुन, इश्क़ की स्याही से इक रब्त फेर दे तू ॥


2.
आइने को भी मुझसे रश्क सा हो जाता है,
तेरी आंखों में जब मेरी तस्वीर बोलती है ॥


3.
दिल में एक हलचल सी मचा जाता है,
तेरा यूँ खामोशी से मुझे पढ़ते जाना ॥


4.
मुस्कुरा कर हमनें पूछा जब
उनकी खामोशी का सबब,
मेरी आंखों में एक अरसे से थमी
नमी देख वो मुस्कुरा दिये ॥


5.
संभल कर चलना तो मोहब्बत का दस्तूर नहीं,
पल पल सुलग सके तो इश्क़ से इश्क़ कर ॥


- अंकिता चौहान