“ Never judge a
book by its cover” यह पंक्तियाँ कई बार नज़रों
के सामने से गुज़री पर अनुभव करने का अवसर पहली बार मिला।
नन्दकिशोर आचार्य जी ने
अपने इस कविता संग्रह “पचास
कविताएँ – नयी सदी
के लिए चयन”
में अलग ही दुनिया रच दी है, ज़िन्दगी को एक नये रूप में अलंकृत किया है। प्रथम पृष्ठ पर बिखरे
अहसास आपको बाँधे रखते हैं पुस्तक के अंतिम पृष्ठ तक !
इस कविता संग्रह का सबसे खूबसूरत मोती है “ झूठ नही
हो जाता प्यार “
इसके अतिरिक्त...
बाँसुरी: मोरपंख
.... ये अंतर क्या कम है
कि तुम्हारा संगीत
मेरी विवश्ता है
और मोरपंख का सौन्दर्य
तुम्हारी ?
बुरा ना मानना
कि अब मैं
तुम्हारी बाँसुरी नहीं रहा ।
वह बात
... बिन मेरे तुम
गुमसुम नहीं भी हो गर
तो कैसे हँस रही होगी ।
सपने नहीं हैं तो
एक एक कर निकालती गयीं
वे सपने मेरी नींद में से तुम
और बनाती गयीं जागते में मुझको
अपने सपने-सा ।
भाषा से प्रार्थना
‘वह’- एक शब्द है
एक शब्द है- ‘तुम’
भाषा से मेरी
बस यही प्रार्थना है
‘तुम’ को ‘वह’ ना कहना पड़े
झूठ नहीं हो जाता प्यार
हमेशा नहीं चाहे
पर कई बार
जब तुम्हे प्यार कर रहा होता हूँ
तो कौंध जाता है अचानक
वह चेहरा
जिसे तब नहीं जान पाया
कि मैं प्यार करने लगा हूँ
और तब भी
झूठ नहीं हो जाता प्यार
जो मुझे तुमसे है
बल्कि तुम और सुन्दर
और प्यारी हो जाती हो !
ऐसी ही कई खूबसूरत कविताओं से गुँथा हुआ ये कविता-संग्रह अविस्मरणीय है।