क्यूँ
तू अच्छा लगता है वक़्त मिला तो सोचेंगे
तुझ
में क्या क्या देखा है, वक़्त मिला तो सोचेंगे
सारा
शहर शानासाई का दावेदार तो है लेकिन
कौन
हमारा अपना है, वक़्त मिला तो सोचेंगे
हमने
उसको लिखा था कुछ मिलने की तदबीर करो
उसने
लिखकर भेजा है, वक़्त मिला तो सोचेंगे
मौसम, खुशबू, बादे-सबा, चाँद, शफक
और तारों में
कौन
तुम्हारे जैसा है, वक़्त मिला तो सोचेंगे
या
तो अपने दिल की मानो या फिर दुनिया वालों की
मशविरा
उसका अच्छा है, वक़्त मिला तो सोचेंगे
क्यूँ
तू अच्छा लगता है वक़्त मिला तो सोचेंगे ।
Attaullah
Khan recited it at coke studio (Pakistan)