July 06, 2015

Waqt Mila To Sochenge - Poetry

क्यूँ तू अच्छा लगता है वक़्त मिला तो सोचेंगे
तुझ में क्या क्या देखा हैवक़्त मिला तो सोचेंगे

सारा शहर शानासाई का दावेदार तो है लेकिन
कौन हमारा अपना हैवक़्त मिला तो सोचेंगे

हमने उसको लिखा था कुछ मिलने की तदबीर करो
उसने लिखकर भेजा हैवक़्त मिला तो सोचेंगे

मौसम, खुशबू, बादे-सबा, चाँद, शफक और तारों में
कौन तुम्हारे जैसा हैवक़्त मिला तो सोचेंगे

या तो अपने दिल की मानो या फिर दुनिया वालों की
मशविरा उसका अच्छा है, वक़्त मिला तो सोचेंगे

क्यूँ तू अच्छा लगता है वक़्त मिला तो सोचेंगे ।


Attaullah Khan recited it  at coke studio (Pakistan)