Showing posts with label NoteBook. Show all posts
Showing posts with label NoteBook. Show all posts

May 28, 2022

Observations: Ret Samadhi - Geetanjali Shree | Daisy Rockwell

 


हिन्दी में लिखी एक किताब का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाना क्या मायने रखता है? राजस्थान के एक बहुत ही साधारण कस्बाई शहर में एक साधारण से घर में सुबह छः बजे से हलचल मची है, रात को इंतज़ार करते हुए सो गए, सुबह ट्वीटर पर पढ़ा कि बुकर प्राइज़ इस बार हिन्दुस्तान आ रहा है। गीतांजलि श्री ने अनुवादक डेज़ी रॉकवैल के साथ मिलकर वाकई इतिहास रच दिया है।

यकीं करना मुश्किल है। लेकिन ये हुआ है। हिंदी को इतनी  ऊँचाई पर देखना आँखों के फोकस को फिर से सेट करने जैसा है। और जब बात भारत की हो तो ये और भी महत्वपूर्ण हो जाता है, कठोर सच है लेकिन यहाँ रीडिंग कल्चर इतना विस्तृत नहीं है। यकीं मानिए मेरी मुठ्टी भर किताबों की अलमारी को देखकर लोग अचरज से भर जाते हैं। यहाँ बताना चाहूंगी, मेरा शहर एक टाइगर सेंचुरी होने की वज़ह से विश्व भर में जाना जाता है लेकिन यहाँ किताबों की (कोर्स की किताबों के इतर) एक भी दुकान नहीं है। जो कह रहे हैं एक किताब क्या ही बदलाव लाएगी, तो ये कुछ मोमेंट्स जो मैंने कल के दिन अपने आस-पास घटते देखे।

१. जब पापा को बताया तो पापा ने पहली बार मेरी बुकशेल्फ़ का कांच खिसकाया और रेत-समाधि निकाली, अलट-पलट के देखा, एक पेज पढ़ा, बैक-कवर पर लिखा हर एक शब्द धीरे-धीरे पढ़ते गए। श्री की किताबों को जो कि विधा अनुसार जमी थीं, निकालकर एक साथ रखने लगे, मेरे मना करने के बावजूद। साधारण सी बात है ना, मेरे लिए बहुत अहमियत रखती है।  जब आपके काम के फ़ील्ड को सिर्फ़ शौक़ की तरह ना देखकर उसे अहमियत मिलती है, सम्मान मिलता है तो आप महसूस करते हैं कि ज़िंदगी धीमी ही सही लेकिन सही दिशा में है। गीतांजलि श्री ने जाने कितनी लड़कियों को आज आत्मविश्वास की चाबी थमाई है।   

२. ज़माने से भूले दोस्तों के मैसेज कई ज़रिए तलाशते हुए, कल मेरे पास आए। रेत समाधि पढ़नी चाहिए? कैसी किताब है? किताब से जुड़े सवाल तो मिलते रहते हैं, मैं भी सबसे पूछती रहती हूँ, प्रियंका दुबे जी से तो बेधड़क पूछ लेती हूँ और वह कभी निराश नहीं करते। लेकिन कल सवालों की जैसे बाढ़ सी आई हो। गीतांजलि श्री की कृति ने वही किया है जो अच्छा साहित्य करता है। लोगों को जोड़ता है, खाई को पाटता है, जो कि उन्होंने अपनी किताब में भी लिखा है, किताब में सरहद पर लिखे अंश को मैंने जाने कितनी बार पढ़ा होगा।

३. ट्वीटर पर मेरी टाइमलाइन पर ढेरों पोस्ट्स थे जहां एक ही बेचैनी दिखी — स्कूल के बाद तो हिंदी की किताब कभी उठाई ही नहीं गई — हिंदी पढ़ना तो मुश्किल है ही, किताबें उपलब्ध भी नहीं होतीं, जब आपके सामने इतने ऑप्शन रखे हों, तो जद्दोजहद करके एक हिंदी की किताब ढूंढ निकालना, समय किसके पास है? मुझे तो कई बार टोका जाता है, किताब पढ़ो, किताबों के बारे में लेख पढने से क्या होगा। मुझे पसंद है, जानना कि, क्या पढ़ा जा रहा है। मेरी टैब में इतनी लिट् मैगजींस के टैब्स बुकमार्कड रहते हैं। जब लेखकों को किताबों के बारे में बात करते देखती हूँ तो उम्मीद से भर जाती हूँ। किताबों का होना दरअसल घर का होना है, पैरों के नीचे ज़मीन का होना है। गीतांजलि श्री का ये एक उपन्यास जाने कितनी हिंदी की किताबों को नया घर देने वाला है, आप इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते। 



४. किताब का अनुवाद डेजी रॉकवैल ने किया है, आप उनके बारे में जाकर पढ़िए, अनुवादक अक्सर बैकसीट पर बैठते हैं, लेकिन देखा जाए तो अनुवादकों के बिना दूसरी भाषा के शब्द हमारे लिए कुछ काले स्याह अक्षरों से ज़्यादा कुछ नहीं हैं। जब यह किताब लॉन्गलिस्ट हुई तो विवेक तेजुजा जो कि खुद एक शानदार लेखक हैं, उन्होंने रॉकवैल से इस पर बात की, वह बातचीत आपको उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर मिल जाएगी। रॉकवैल चेहरे पर मुस्कान लिए एक एक कर सवालों के ज़बाव देती चलती हैं, उनकी आवाज़ में शब्दों में संजीदगी है। वे एक बेहतरीन आर्टिस्ट भी हैं। ज़ाहिर है रेत-समाधि की यह सफलता  अनुवादकों के लिए भी सम्मान पैदा करेगी।

 

५. कित्ताब का अंग्रेज़ी अनुवाद Tilted Axis Press से आया है। जो कि एक इन्डीपेंडेंट पब्लिशर हैं। इसकी नीँव Deborah Smith ने 2015 में रखी थी। स्मिथ Han Kang की किताब The Vegetarian की अनुवादक हैं। ये पब्लिशिंग हाउस कंटेम्पररी एशियन लिटरेचर को बढ़ावा देता है। Arunava Sinha द्वारा अनुदिन Abandon यहीं से प्रकाशित है। संगीता बंद्योपाध्याय की किताब का बेहतरीन अनुवाद किया गया है। मूल कृति नहीं पढ़ी लेकिन उस किताब के दृश्य अभी तक haunt करते हैं। Anurava Sinha ji का तो सारा काम ही पढ़ लेना चाहिए।

 

६. रेत-समाधि २०२० में खरीदी थी। राजकमल प्रकाशन ने हाल में इसका नया संस्करण निकाला है जिसका कवर काफ़ी tempting है। मैं एक किताब के कई संस्करण नहीं ले पाती लेकिन इसका लेना चाहूंगी। किताब के कवर पर मौजूद पेंटिंग रॉकवैल जी की है। जो कहानी की पूरक है।    

७. कुछ दिन पहले प्राईमरी में पढ़ने वाली एक बच्ची ने एक सवाल किया था कि — इन किताबों को पढ़ने से क्या होता है? मैंने उस वक़्त तो यही कहा था, आपकी समझ बढ़ती है, अच्छे इंसान बनते हो। रेत-समाधि के बारे में मीडिया में पढ़कर, देखकर, शायद अब ये सवाल और भी कई बच्चे पूछेंगे। खुद से किया एक सही सवाल नए रास्ते खोलता है।  

८. गत वर्ष क्लबहाउस पर चन्दन पाण्डेय जी की किताब वैधानिक गल्प पर एक सेशन रखा गया था, वास्तव में बात अनुवाद पर हो रही थी, Legal Fiction, अनुवादक भारत भूषण तिवारी जी भी मौजूद थे। सवाल पूछने का मौक़ा मिला। तब रेत समाधि और उसके अनुवाद ‘टूम ऑफ़ सैंड’ को मेंशन किया था। उस पर फिर बात भी हुई। अच्छा साहित्य किस तरह अपनी जगह साधता है।  

ये सब कल लिखना चाहिए था। कल इतना खुश थी, आँखें भरती रही खाली होती रहीं, पागलपन हैं ना। राजकमल प्रकाशन समूह को, गीतांजलि श्री जी को ढ़ेरों शुभकामनाएं और डेज़ी रॉकवैल को दिल से शुक्रिया।  

 


November 28, 2016

कच्चे मीठे अमरूद

ग्यारह बारह बजे के बीच रोज घर के मेन गेट पर वो आवाज लगाते हैं। गुलाबी सर्दी आते ही उनका बाग़ हरे कच्चे अमरूदों से भर जाता है।

जैसा उन्होंने बताया सुबह जल्दी उठकर वो एक तसला भर अमरूद तोड़ कर अपने चौके में रख लेते हैं। दिन बढ़ने पर घर के आदमी बाग़ से अमरुद की गाड़ी भरकर निकल जाते हैमंडी की तरफ।

ये एक तसला अमरूद उन बाई जी की एक दिन की कमाई है। सुबह ग्यारह बजे तक खाना बनाकर चल देते है पच्चीस-तीस किलो अमरूद सर पर लादे।

“सर संभाल कैसे लेता है इतना बोझमेरी तो गर्दन ही लटक जाए? 
“आदत हो गयी बिटिया” कहकर उस दुप्पटे के अंदर से मुस्कुराती आँखे झांकती हैहल्के से।

किसी को अहसास करवाओ की वो जो कर रहा है वो हर कोई नहीं कर पातातो उसके चेहरे की रंगत नोटिस कीजिएगा।

ये जो थोडा थोड़ा करके पैसे इकठ्ठे होते हैंइनसे उनकी सर्दी  निकल जाती है। उन्हें अपने घर के आदमियों से पैसे नहीं मांगने पड़ते।

मेरी आँखों में उन लड़कियो की तस्वीर घूम रही थी जो कुछ ना करते हुए भी इंस्टाग्राम भर देती है ब्रांडेड सामान से।

यहाँ इन बाईजी को सर्दी के कुछ कपडे लेने के लिए भी अपने पति से पैसे मांगने में शर्म आ गयी। अजीब दुनिया हैअजीब लोग है।

एम बी ए नहीं किया। सेल्स ट्रिक नहीं आतीबस मनुहार करते है प्यार से। कल फिर से आएंगीआवाज लगाएंगी.. "बिटिया अमरूद लेगी के...कच्चे-कच्चेमीठे-मीठे" 


August 27, 2016

Mini Mandali - Thank You Note

माफी की हकदार नहीं हूँ, क्यूंंकि आज के दिन जानबूझ कर गायब रही, आप लोगोंं को पूरे दिन परेशान किया। फिर भी आई नो यू ऑल हैव जेंटल हर्ट,
माफी दे दयो सरकार

पता है बचपन में मम्मा ने कहा था दुनिया बहुत अच्छी है, लोग बहुत खूबसूरत है, सबसे प्यार करना चाहिए।

जैसे-जैसे बड़ी होती गयी, नए लोगोंं से मिलती गयी, लगा मम्मा ने झूठ कहा, बस मन बहलाने को। कई बार उनसे  भी कहा मैंने ये बस आपको लगता है, मैं पागल जैसा फील करती हूँ सवके बीच, आपने मुझे ऐसा क्यूँ बनाया, मुझे भी लड़ना सीखाते, बराबर जवाब देना, किसी की ना सुनना, बस चढ जाना दूसरे पर, बोलते रहना जब तक की दूसरा टूट ना जाए।

लेकिन अब जब वो नहीं है तो इतने अच्छे लोंगो से मिल रही हूँ, लगता है उनकी कही हर बात सच थी। थोड़ा देर से मिले मुझे आप सब।
जितना भी शुक्रिया करूँँ कंचन जी का कम है मण्डली मेंं जगह देने के लिए, जीने का मकसद काईड ऑफ, और आप सब चैरी ऑन द केक हैं यम्मी।


Mandali Memories



इतनी सी गुजारिश
जिंदगी से थी,
जिंदगी जैसा मिले कोई..
आप ज़िंदगी से भरपूर हैं अनु दी!

कंचन थोड़ी पोएट्री डाल दूँ?



दोस्ती की शक्ल
होती तो
आपकी जैसी होती रत्ना जी
आपका दिल बेहद खूबसूरत है

मुझे कोई लव स्टोरी लिखना सिखाएगा?” 

Mala Sharma 


कोशिश करते रहना,
हार ना मानना, उम्र को धोखा देकर ज़िंदगी जीना
कितना कुछ सीखाते हैं आप,
एंड दैट स्माईल,

मैं सीखने के लिए तैयार हूँ अनु



तुम्हारी आवाज
कानों में मिश्री घोलती है
जब बोलती हो तो ज़िंदगी बचपन सी हो जाती है चैताली

मुझे भिण्डी नहीं आती, सदाबहार नगमें आते हैं?” 



आपका नाम आते ही दिमाग में एक ही शब्द गूँजता है
What a graceful lady”

हाँ कंचन जी मेरी आवाज आ रही है, मैं शुरू करूँ?” 



तुम बहुत खूबसूरत इंसान हो रश्मि
ऐसे ही रहना, हमेशा

आज मेरा ऑफ नहीं है, मैं थोड़ी देर के लिए मैनेज कर सकती हूँ
और हमें पता है तुम मण्डली अटैंड करने के लिए कहाँ कहाँ पहुँँच जाती हो
लव यू.. 



तुम्हारा नाम सबसे अंत में क्यूंकि
शब्द नहीं है मेरे पास,
तुम प्यारी हो दिल से भी

मेरे पास भी कहानी है कंचन जी, बस लास्ट सेंग्मेंट बचा है

   
हम सब कभी मिले नहीं है, लेकिन कभी नहीं लगा कि मिलना जरूरी है, लेट्स ज़ूम ऑनली। बेहद शुक्रिया इतना सारा सपोर्ट देने के लिए और इस सरप्राइज़ के लिए शब्द कम हैं। लव यू ऑल, हद से भी बेहद  :) 

- Ankita Chauhan 


Ting!