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April 08, 2020

Translated Literature: Book Recommendations

Painting of Willard Leroy Metcalf : The Convalescent, 1904


“Once you overcome the one-inch tall barrier of subtitles, you will be introduced to so many more amazing films,” said Bong Joon-ho, Director of Parasite. Same goes with Translated Literature. I love them, and they're always on my radar. Although, I am not a well-read person, still made a list of my favourite ones. Hope it may help you to decide your next pick. Happy Reading! 


1. Ghachar Ghochar by Vivek Shanbhag (Tr. Srinath Perur)
2. Affections by Rodrigo Hasbun (Tr. Sophie Hughes)
3. Mother of 1084 by Mahasweta Devi (Tr. Samik Bandyopadhyay)
4. The Notebook by Agota Kristof (Tr. Alan Sheridan)
5. The Shadow of the Wind by Carlos Ruiz Zafón (Tr. by Lucia Graves)
6. Convenience Store Woman by Sayaka Murata (Tr. Ginny Takemori)
7. The Vegetarian by Han Kang (Tr. Deborah Smith)
8. Cobalt Blue by Sachin Kundalkar (Tr by Jerry Pinto)
9. In a Time of Burning by Cheran (Tr. Lakshmi Holmström)
10. The Unbearable Lightness of Being by Milan Kundera (Tr. Michael Henry Heim)
11. Abandon by Sangeeta Bandyopadhyay (Tr. arunava sinha)
12. Other Colors: Essays and A Story by Orhan Pamuk (Tr. Maureen Freely)
13. A River Dies of Thirst: journals by Mahmoud Darwish, (Tr. Catherine Cobham)
14. Pedro Páramo by Juan Rulfo (Tr. Margaret Sayers Peden)
15. Lifting The Veil by Ismat Chughtai (Tr. M. Asaduddin)
16. Bonsai by Alejandro Zambra (Tr. Carolina De Robertis)
17. Here by Wis
ława Szymborska, (Tr. Stanisław Barańczak & Clare Cavanagh)
18. Marrow by Yan Lianke, (Tr. Carlos Rojas)
19. 33 Revolutions by Canek Sánchez (Tr. Guevara, Howard Curtis)
20. The Beach at Night by Elena Ferrante (Tr. Ann Goldstein)
21. Letters to a Young Poet by Rilke (Tr. Reginald Snell)
22. The House in Smyrna by Tatiana Salem Levy (Tr. Alison Entrekin)
23. The Stranger by Albert Camus (Tr. Matthew Ward)
24. Sputnik Sweetheart by Haruki Murakami (Tr. Philip Gabriel) 



March 14, 2019

Notes : So Much Noise



कल ‘मैन बुकर प्राइज़’ की लॉगलिस्ट अनाउंस हुई, 13 किताबें। इस बार लिस्ट में काफी सारी लेखिकाओं के काम को जगह दी गयी, यह देखकर खुशी हुई, साथ ही छोटी इंडीपेडेंट प्रेसेज़ से प्रकाशित काम को भी शामिल किया गया।

मैंने, अब तक लिस्ट में से एक भी किताब नहीं पढ़ी, अजीब लगा। थोड़ा बहुत पाते हैं, कितना कुछ छूट जाता है। सारी तो नहीं लेकिन इन चार किताबों को अपनी टू-बी-रीड पाईल में शामिल किया है, इस साल इन्हें जरूर पढ़ना है।

Jokha Alharthi - Celestial Bodies (Sandstone Press Ltd)
Annie Ernaux - The Years (Fitzcarraldo Editions)
Hwang Sok-yong - At Dusk (Scribe, UK)
Samanta Schweblin - Mouthful Of Birds (Oneworld)

जब हिन्दी की किताबें नहीं पढ़ती तो हिन्दी के शब्द भूल जाती हूँ, वहाँ भी करीब बीस किताबें अनटच्ड रखी हैं, टेड़ी लकीर, हर बारिश 
में, लखनऊ की पाँच रातें...।

इस साल ट्रांसलेशंस पढ़ने का ज्यादा मन है, नहीं पता ये किसी और के साथ होता है या नहीं, लेकिन जब काम करती हूँ, तो सोचती हूँ ऐसा क्या लिख दूँगी जो पहले नहीं लिखा गया, इससे अच्छा पढ़ लेती हूँ, कितना कुछ सीखना है, कुछ भी तो नहीं आता।

जब किताब खोलती हूँ तो रिग्रेट होता है, कितना सारा काम बचा है, जरूरी है, इस उलझन में मन गिल्ट से भर जाता है, मूवी देखते वक्त भी सेम फीलिंग, स्क्रीन टाईम महज़ 15 मिनट।

कितने सारे डायरेक्टर्स हैं, जिनका पूरा काम देखने का मन है, Satyajit Ray, Maniratnam, Vittorio-de-sica, Jean-luc-godard, Andrei-tarkovsky, Louis-malle, Krzysztof-kieslowski, सत्यजीत रे का काम तो पढ़ना भी है, आधा-पौना पढ़ के किताब दूसरे किनारे रख दी।

फिर लगता है, क्या करना है इतना सब ज्ञान लेकर, सब फालतू है, म्यूजिक सुन लूँ काफी है, अबिदा परवीन, बेखम अख्तर, इक्बाल बानो को सुनते हुए पूरी उम्र बिताई जा सकती है, “राम करे कहीं नैना ना उलझे”


फिर आता है... प्लूटो, जब पास होता है, तो सारी दुनिया बेमतलब लगती है, जिद करके ऐसे गले से चिपक जाता है, स्टैच्यू बन जाती हूँ... क्या मैं बहुत ज्यादा पागल हूँ?  

   

December 10, 2018

नोट्स: पागलपन है जिए जाना


एक दिन पहले तक जिनकी हंसने की आवाज सुनी, एक दिन बाद सब कुछ खत्म। कितना अजीब है ये सब, चन्द मिनटों का खेल जैसे, एक महीन सांस का धागा, बनने की प्रकिया में ही टूट गया, या बाती की वो मद्धम लौ जिसका बुझना अचानक होता है, पलक झपकता जीवन, होने और न होने के बीच डोलता हुआ, पेंडुलम। हजारों जिम्मेदारियों का बोझ लादे कंधे अब दूसरे के कांधे की सैर पर हैं, मुस्कुराते ठंडे होंठ सारी चिंताओं से मुक्त, कितना बड़ा पागलपन है जिए जाना, सिर्फ जीते चले जाना। थोड़ा ठहरना है, देखना है पीछे, कितना अनजिया छूट गया, दर्द है टीस भी, गहरी नींद सब मिटा देगी, चंद मिनटो का खेल बस।

-- अंकिता चौहान

December 09, 2018

Notes : Lost in a Bookshelf

बचपन में अपनी स्कूल की किताबों से अलग एक लाइब्रेरी बनाई थी, करीब सौ किताबें कहानियों की, कॉमिक्स से लेकर भारतीय सुपरहीयोज यानी कृष्ण हनुमान महाभारत बाल रामायण हातिम ताई अकबर बीरबल, प्रेमचंद के गोदान गबन तक। जब पढ़ने बाहर गई तो वो लाइब्रेरी गायब हो गई शायद वो बचपन की किताबें उन बच्चों के हिस्से आयीं जिन्हें उनकी ज्यादा जरूरत थी, गोदान के अलावा मम्मी ने सब किताबें बांट दी। इतना गुस्सा आया था मुझे उस वक्त। इतने सारे दिन चुप रही थी। नाइंथ में मैथ्स को अपना दोस्त बना लिया था। उसमे सर खपाना वक्त को खत्म करने का सबसे आसान जरिया लगा। लेह्निजर और जोऑलजी को अलविदा कहकर कुछ साल पहले किताबों की अपनी उसी दुनिया में लौटना एक मजबूरी थी, धीरे धीरे फिर से पढ़ रही हूँ, छोटू सी लाइब्रेरी बनाने की कोशिश कर रही हूँ। ज्यादातर किताबें किंडल में ही हैं। लगता है अपने पीछे जितनी कम फिजिकल प्रेजेंस छोड़कर जाओ उतना अच्छा रहेगा। खुश हूँ, आउटफिट्स को उँगलियों पर काउंट कर सकती हूँ, जरा से हैं। एक्सेसरीज के बारे में सोचने पर भी कुछ ध्यान नहीं आता, किताबें हैं जिन्हें लंबा खाली वक्त मिलते ही डिजिटल शीट में डालना है, कैटलॉग टाईप कुछ। 


August 23, 2018

Mobile Chaupal : Radio Stories on All India Radio

गाँव कनेक्शन अलग है, जमीनी स्तर पर उतरकर काम करता है। ध्यान रखता है कोई तबका छूट ना जाए। जागरुकता, आगे बढने के लिए पहला कदम है। पिछले दो महीने से गाँव कनेकशन ने फेसबुक के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम किया है, मोबाईल चौपाल। फेक न्यूज के बारे में लोगों में अवेयरनेस फैलाई है। जरिए कई थे, जिन्हें इस विडियो में दिखाया है, ये उन दो महीने में किए गए काम के कुछ क्लिप्स है।

'ऑल इंडिया रेडियो' पर 'मोबाईल चौपाल' नाम से कहानियों का शो चला, इसके जरिए प्रोजेक्ट का छोटा-सा हिस्सा बन पाई, थैंक्स टू नीलेश सर।



Photo Credit: Gaon connection

June 22, 2018

Storywallah: Short Stories (Neelesh Misra's Mandali)



नीलेश मिसरा सर की आवाज में आपने रेडियो पर, सावन एप पर, यू-ट्यूब पर कई कहानियाँ सुनी होंगी। एक दशक होने को है। कहानियों में रिश्तों की गर्माहट होती है, नॉस्टेलिया होता है, साधारण लोंगो की असाधारण कहानियाँ हैं ये। एहसासों की ये भीतरी यात्रा अब एक किताब की शक्ल में आ रही हैं, नाम है स्टोरीवाला, पेंगुईन इंडिया प्रकाशक हैं। किताब 21 जून से अमेजन पर उबलब्ध है। क़िताब का हिस्सा हूँ खुश हूँ, हैरान हूँ, सपने साँस ले रहे हैं।


Photo Source: Ajendra Singh Bhadoria
Buy Link: STORYWALLAH (Penguin Books) 

March 04, 2018

Mera Gaon Connection: About Banasthali Vidhyapeeth

Originally Published at Gaon Connection 


दिन में गड़गड़ाते काले बादल, बहती हुई बारिशें, पेड़ो के नीचे छुपकर गीले पंखो को झाड़ते पंछी।
रातों में दूर तक फैली ठण्डी रेत में कभी नंगे पैर चलना, तो कभी आसमान में दौड़ते उस चाँद का हाथ फैलाए पीछा करना।

नहीं ये कोई कविता नहीं है। ये सब मेरे बचपन की यादें है.. कुछ बेमोल अनुभव। यही बिखरी हुई तस्वीरें जो मुझे आज भी गाँवो की कच्ची महक से जोडे हुए हैं। बारिश की उसी सौंधी खुशबू के साथ।

बचपन में वनस्थली विद्यापीठ सबके लिए एक महिला शिक्षण 
संस्थान था वहीं मेरे लिए मेरी नानी का घर। राजस्थान के टोंक-निवाई जिले में बसा वनस्थली, निवाई के रेलवे स्टेशन से करीब दस किलोमीटर दूर है। लगभग 1000 एकड में फैली ये जगह, बीते कुछ सालों में काफी प्रगति कर चुकी है, लगता है जैसे शहरीकरण हो गया हो। यूनिवर्सिटी में पन्द्रह हजार से उपर लड़कियाँ पढ़ती हैं। लेकिन जब मैं उस बीस साल पुरानी वनस्थली को याद करती हूँ तो शायद उससे बेहतर मेरी दुनिया में कोई जगह नहीं मिलती।

गाँव शहरों की तरह भागते नहीं हैं वो कभी आपको पीछे नहीं छोड़ते। आपके साथ खड़े होते है। वनस्थली में भी एक ठहराव था। जिंदगी रुकी हुई नहीं थी, सुकून भरी थी। 


Photo Courtesy - Ajendra Singh Bhadoria

July 28, 2017

वो लोग जो आपके कुछ नहीं लगते

वो लोग जो आपके कुछ नहीं लगते। ना कोई रिश्ता ना कोई जानकारी। सोशल मीडिया की इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग मिलते है जिनसे कोई बातचीत नहीं होती फिर भी वो आपकी दिनचर्या का हिस्सा होते है। आपकी टाईमलाईन पर उनके पोस्ट आते है। हम उसके जरिए ही धीरे धीरे उन्हें जानने लगते हैं। उनके पंसदीदा गीत, नज्में, शायर, और फिर एक दिन वो चले जाते हैं। हमेशा के लिए। आपकी पलकें नम हो जाती है। दिल कुछ एक पल के लिए पत्थर-सा हो जाता। आप यकीन नहीं कर पाते कि कल से वो आपकी वर्चुअल ही सही लेकिन इस छोटी सी दुनिया का हिस्सा नहीं होगें। गर्म पानी आँखों से गालों तक आ जाता है। आप रोना नहीं चाहते, उनके लिए जो आपके कुछ नही लगते।

25 जुलाई को ट्वीटर टाईमलाइन पर पढा इंदीवर जी (@frozenmusik) नहीं रहे। उनसे मेरी कभी कोई बातचीत नहीं हुई थी। मैं नीलेश मिसरा सर के लिए थोडा-बहुत लिखती हूँ ये उन्हें मेरी टाईमलाईन देखकर पता चला होगा। अभी जनवरी में जब जयपुर लिटरेचर फेस्टीवल में नीलेश सर भी पहुँचे। तो उन्होंने सर के सेशन की टाईम-स्क्रीन टैग की। उन्हें लगा होगा शायद मुझे पता नहीं है। मैंने उन्हें प्राईवेट मैसेज करके इतनी सी रिक्वेस्ट की “Sir, I won’t able to attend Neelesh Sir’s session, will you record some clips, just thodi bahut please please

उन्होंने कहा उनके बेटे को फीवर है, फिर भी वो कोशिश करेंगे। मैंने उनसे मना भी किया “ रहने दीजिएगा सर, इट्स नॉट देट इम्पोरटेंट” मैं भूल भी गयी थी अगले दिन उन्होंने वो वीडियोज यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिए। ही इज़/वाज़ काईंड सोल, मैन ऑफ हिज़ वर्डस। अभी तीन दिन पहले जब टाईमलाईन पर पढा वो नहीं रहे तो सच में अजीब लगा, लगा जैसे इट इज़ सम काईंड ऑफ प्रेंक। लेकिन ये न्यूज़ पवन झा जी की टाईमलाईन से थी। कार्डियल अरेस्ट। आज 28 जुलाई 2017 को जयपुर में ही उनकी मैमोरियल बैठक है।

नौ साल पहले मम्मा को भी ऐसे अचानक एक एक्सीडेंट में खो दिया था। आज भी सुबह उठती हूँ तो लगता है वही घी के दीपक की गर्माहट लिए मम्मा की हथेली मेरे सर पर ठहर जाएगी। आँखे खोलकर वो सबसे मीठा ख्वाब खो देना बहुत तकलीफ देता है। मम्मा के समय रोना नहीं आया था। शायद उधारी है। जब भी कोई जाता है तो किश्तों में निकलती है।  

No
Time doesn’t heal anything
People leave, void remains.

Indivar Sir, You will be missed. ALWAYS!



           
Clicked By Indivar Sir

November 28, 2016

कच्चे मीठे अमरूद

ग्यारह बारह बजे के बीच रोज घर के मेन गेट पर वो आवाज लगाते हैं। गुलाबी सर्दी आते ही उनका बाग़ हरे कच्चे अमरूदों से भर जाता है।

जैसा उन्होंने बताया सुबह जल्दी उठकर वो एक तसला भर अमरूद तोड़ कर अपने चौके में रख लेते हैं। दिन बढ़ने पर घर के आदमी बाग़ से अमरुद की गाड़ी भरकर निकल जाते हैमंडी की तरफ।

ये एक तसला अमरूद उन बाई जी की एक दिन की कमाई है। सुबह ग्यारह बजे तक खाना बनाकर चल देते है पच्चीस-तीस किलो अमरूद सर पर लादे।

“सर संभाल कैसे लेता है इतना बोझमेरी तो गर्दन ही लटक जाए? 
“आदत हो गयी बिटिया” कहकर उस दुप्पटे के अंदर से मुस्कुराती आँखे झांकती हैहल्के से।

किसी को अहसास करवाओ की वो जो कर रहा है वो हर कोई नहीं कर पातातो उसके चेहरे की रंगत नोटिस कीजिएगा।

ये जो थोडा थोड़ा करके पैसे इकठ्ठे होते हैंइनसे उनकी सर्दी  निकल जाती है। उन्हें अपने घर के आदमियों से पैसे नहीं मांगने पड़ते।

मेरी आँखों में उन लड़कियो की तस्वीर घूम रही थी जो कुछ ना करते हुए भी इंस्टाग्राम भर देती है ब्रांडेड सामान से।

यहाँ इन बाईजी को सर्दी के कुछ कपडे लेने के लिए भी अपने पति से पैसे मांगने में शर्म आ गयी। अजीब दुनिया हैअजीब लोग है।

एम बी ए नहीं किया। सेल्स ट्रिक नहीं आतीबस मनुहार करते है प्यार से। कल फिर से आएंगीआवाज लगाएंगी.. "बिटिया अमरूद लेगी के...कच्चे-कच्चेमीठे-मीठे" 


November 21, 2016

Take Me Home : A Short Movie



JOSH BILLINGS Says: 

A dog is the only thing on earth that loves you more than he loves himself. 

Kun Faya Kun : A Musical Note

All your life.

You want to belong to someone.

And the day comes,

when you finally found the truth.

You belong to your imperfect self.

Only.

- Ankita Chauhan


   






August 27, 2016

Mini Mandali - Thank You Note

माफी की हकदार नहीं हूँ, क्यूंंकि आज के दिन जानबूझ कर गायब रही, आप लोगोंं को पूरे दिन परेशान किया। फिर भी आई नो यू ऑल हैव जेंटल हर्ट,
माफी दे दयो सरकार

पता है बचपन में मम्मा ने कहा था दुनिया बहुत अच्छी है, लोग बहुत खूबसूरत है, सबसे प्यार करना चाहिए।

जैसे-जैसे बड़ी होती गयी, नए लोगोंं से मिलती गयी, लगा मम्मा ने झूठ कहा, बस मन बहलाने को। कई बार उनसे  भी कहा मैंने ये बस आपको लगता है, मैं पागल जैसा फील करती हूँ सवके बीच, आपने मुझे ऐसा क्यूँ बनाया, मुझे भी लड़ना सीखाते, बराबर जवाब देना, किसी की ना सुनना, बस चढ जाना दूसरे पर, बोलते रहना जब तक की दूसरा टूट ना जाए।

लेकिन अब जब वो नहीं है तो इतने अच्छे लोंगो से मिल रही हूँ, लगता है उनकी कही हर बात सच थी। थोड़ा देर से मिले मुझे आप सब।
जितना भी शुक्रिया करूँँ कंचन जी का कम है मण्डली मेंं जगह देने के लिए, जीने का मकसद काईड ऑफ, और आप सब चैरी ऑन द केक हैं यम्मी।


Mandali Memories



इतनी सी गुजारिश
जिंदगी से थी,
जिंदगी जैसा मिले कोई..
आप ज़िंदगी से भरपूर हैं अनु दी!

कंचन थोड़ी पोएट्री डाल दूँ?



दोस्ती की शक्ल
होती तो
आपकी जैसी होती रत्ना जी
आपका दिल बेहद खूबसूरत है

मुझे कोई लव स्टोरी लिखना सिखाएगा?” 

Mala Sharma 


कोशिश करते रहना,
हार ना मानना, उम्र को धोखा देकर ज़िंदगी जीना
कितना कुछ सीखाते हैं आप,
एंड दैट स्माईल,

मैं सीखने के लिए तैयार हूँ अनु



तुम्हारी आवाज
कानों में मिश्री घोलती है
जब बोलती हो तो ज़िंदगी बचपन सी हो जाती है चैताली

मुझे भिण्डी नहीं आती, सदाबहार नगमें आते हैं?” 



आपका नाम आते ही दिमाग में एक ही शब्द गूँजता है
What a graceful lady”

हाँ कंचन जी मेरी आवाज आ रही है, मैं शुरू करूँ?” 



तुम बहुत खूबसूरत इंसान हो रश्मि
ऐसे ही रहना, हमेशा

आज मेरा ऑफ नहीं है, मैं थोड़ी देर के लिए मैनेज कर सकती हूँ
और हमें पता है तुम मण्डली अटैंड करने के लिए कहाँ कहाँ पहुँँच जाती हो
लव यू.. 



तुम्हारा नाम सबसे अंत में क्यूंकि
शब्द नहीं है मेरे पास,
तुम प्यारी हो दिल से भी

मेरे पास भी कहानी है कंचन जी, बस लास्ट सेंग्मेंट बचा है

   
हम सब कभी मिले नहीं है, लेकिन कभी नहीं लगा कि मिलना जरूरी है, लेट्स ज़ूम ऑनली। बेहद शुक्रिया इतना सारा सपोर्ट देने के लिए और इस सरप्राइज़ के लिए शब्द कम हैं। लव यू ऑल, हद से भी बेहद  :) 

- Ankita Chauhan 


Ting!