वो लोग जो आपके कुछ नहीं लगते। ना कोई रिश्ता ना
कोई जानकारी। सोशल मीडिया की इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग मिलते है जिनसे कोई बातचीत
नहीं होती फिर भी वो आपकी दिनचर्या का हिस्सा होते है। आपकी टाईमलाईन पर उनके
पोस्ट आते है। हम उसके जरिए ही धीरे धीरे उन्हें जानने लगते हैं। उनके पंसदीदा
गीत, नज्में, शायर, और फिर एक दिन वो चले जाते हैं। हमेशा के लिए। आपकी पलकें नम
हो जाती है। दिल कुछ एक पल के लिए पत्थर-सा हो जाता। आप यकीन नहीं कर पाते कि कल
से वो आपकी वर्चुअल ही सही लेकिन इस छोटी सी दुनिया का हिस्सा नहीं होगें। गर्म
पानी आँखों से गालों तक आ जाता है। आप रोना नहीं चाहते, उनके लिए जो आपके कुछ नही
लगते।
25 जुलाई को ट्वीटर टाईमलाइन पर पढा इंदीवर जी (@frozenmusik) नहीं रहे। उनसे मेरी कभी कोई बातचीत नहीं हुई थी। मैं नीलेश मिसरा सर के लिए थोडा-बहुत
लिखती हूँ ये उन्हें मेरी टाईमलाईन देखकर पता चला होगा। अभी जनवरी में जब जयपुर
लिटरेचर फेस्टीवल में नीलेश सर भी पहुँचे। तो उन्होंने सर के सेशन की टाईम-स्क्रीन
टैग की। उन्हें लगा होगा शायद मुझे पता नहीं है। मैंने उन्हें प्राईवेट मैसेज करके
इतनी सी रिक्वेस्ट की “Sir, I won’t
able to attend Neelesh Sir’s session, will you record some clips, just thodi
bahut please please”
उन्होंने कहा उनके बेटे को फीवर है, फिर भी वो
कोशिश करेंगे। मैंने उनसे मना भी किया “ रहने दीजिएगा सर, इट्स नॉट देट इम्पोरटेंट” मैं भूल भी गयी थी अगले दिन उन्होंने वो वीडियोज यू-ट्यूब पर अपलोड कर दिए। ही इज़/वाज़ काईंड सोल, मैन ऑफ हिज़ वर्डस। अभी तीन दिन
पहले जब टाईमलाईन पर पढा वो नहीं रहे तो सच में अजीब लगा, लगा जैसे इट इज़ सम काईंड ऑफ प्रेंक।
लेकिन ये न्यूज़ पवन झा जी की टाईमलाईन से थी। कार्डियल अरेस्ट। आज 28 जुलाई 2017
को जयपुर में ही उनकी मैमोरियल बैठक है।
नौ साल पहले मम्मा को भी ऐसे अचानक एक एक्सीडेंट
में खो दिया था। आज भी सुबह उठती हूँ तो लगता है वही घी के दीपक की गर्माहट लिए
मम्मा की हथेली मेरे सर पर ठहर जाएगी। आँखे खोलकर वो सबसे मीठा ख्वाब खो देना बहुत तकलीफ देता है। मम्मा के समय रोना नहीं
आया था। शायद उधारी है। जब भी कोई जाता है तो किश्तों में निकलती है।
No
Time doesn’t heal
anything
People leave,
void remains.