December 26, 2014

Kuch Ishq

Photo Courtesy : Google 

आहिस्ता-आहिस्ता,
अब-जब वक़्त बिछड़ने लगा है हथेली से
कुछ आहट महसूस होती है इर्द-गिर्द

डबडबाती पलकें उठाकर देखती हूँ तो
खुद की सांसे ही तैरती मिलती हैं
कुछ बदहवास तो कुछ लावारिस

अनजाने में खामोशी के कुछ
बीज बो दिए थे हमनें,    
दिल तक पहुँचती हर राह पर  
ना जाने कब,
शिकवों की बर्फ-सी जम गई

इक युग बीत चला,                      
दो रूहें अर्ज़ी लगाए हुए हैं बरसों से
मानों आखें भी आज़ाद होना चाहती हों
उक्ता गई हों एक बेहिस नज़रिये से

आज सामने पाकर तुम्हें
झिझक की कैद से
चुरा लिया मैंने
एक लम्हा

अधरों पर बिखर गया
गीली हंसी में डूबा इक सवाल,

इतने अरसे बाद मिले हैं हम
कुछ इश्क़ तो जी रहा होगा तुझमें भी,

कुछ मुहब्बत तो तुझमें अब भी धड़कती होगी..!”  

- अंकिता चौहान  


December 25, 2014

OFS LIFE : One Frame Million Stories

Sometimes you add something, someone in your routine just for fun and they become an important part of your life. and You wonder how it happened.
But that’s the beauty of life. Today I’m Sharing ‘My OFS Life’ with you. Cause it means a lot to me.

Let’s celebrate a ride! 
One Frame Stories


                                                   

OFS Frame 6 : It was amazing to see a world from a bird, crow’s point of view! It is old Performa of OFS, still                               seems charming. 

  


                                                          

OFS Frame 7 : When I was weaving this, literally there were tears in my eyes. Many kids in the world are not as blessed as we are. Respect what you have!




OFS Frame 8 : Frankly speaking, I had written this story for someone. It’s fabulous to imagine what he/she would have thought in that specific situation.



OFS Frame 9 : October 27 is kind of Black Day for me, on this day I lost my one and only reason for living, My Heartbeat Mumma! So, Couldn't think anything else and wrote this one!




OFS Frame 10 : When you don’t deserve something and you get it somehow. You should be thankful to life.




OFS Frame 11 : It’s kind of heartbreaking but its real story which I shared. Do love your parents, Adore their selfless love.
OFS 11


OFS Frame 12 : Ah! This one is my favorite. It is inspired by “Because of Winn-Dixie by Kate DiCamillo”. Must read this book, if you have not yet.





OFS Frame 13 : Though it is little bit childish, sometimes you write jus’ for yourself, without even single thought what they will say.  Btw I love Gulab-Jamun, Ting!
OFS 13



OFS Frame 14 : Skip It. I’m telling you just skip it. It was just a try in romance genre. And I think you should have some experience before writing something like this. Laugh out Loud at myself.



OFS Frame 15 : It was painful to write. I have nothing else to say!.





One Frame Story - 16



And Journey Continues!


December 16, 2014

Book Review : Mann Mirza Tan Sahiba - Amrita Pritam



अमृता प्रीतम जी ने अपनी इस किताब “मन मिर्ज़ा तन साहिबा” को पूर्णतः रजनीश जी को समर्पित किया है।

उनके लफ्ज़ कभी ख्यालों के पैरों में पायल से बजते हैं तो कभी ज़िंदगी से थके हुए यात्री को हौंसला देते हैं। यह किताब अंतरचेतना को संगति प्रदान करती प्रतीत होती है।

अमृता जी कहती हैं “ मिर्ज़ा एक मन है जो साहिबा के तन में बसता है और जो यह अनुभव कर सका वही मुहब्बत के आलम को समझ सकता है। साहिबा व मिर्ज़ा के बदन उस पाक मस्ज़िद से हो गए हैं जहां पाँच नमाज़े बस्ता लेकर मोहब्बत की तालीम पाने आती हैं।“

वजूद की गहराई तक उतरती इस किताब में अमृता जी ने अपनी कुछ एक नज़्में भी पिरोयी हैं-

1.
अनुभव एक है असीम का - अनंत का,
पर एक रास्ता तर्क का है
जहां वह कदम कदम साथ चलता है,
और एक रास्ता वह है जहां तर्क एक ओर खड़ा देखता रह जाता है॥

2.
जाने कितनी खामोशियाँ हैं
जो हमसे आवाज मांगती हैं
और जाने कितने गुमनाम चेहरे हैं
जो हमसे पहचान मांगते हैं॥

3.



अमृता जी ने हाफिज़ शीराजी के कुछ ख्यालों को भी इस किताब में जगह दी है,
हाफिज़ जी कहते हैं
”साकी! जाम को गदरिया में ला और मुझे दे,
इब्तदा-ए-इश्क़ तो आसान नज़र आया
लेकिन इंतहा बहुत मुश्किल हुई”

दुनिया की शेर-ओ-शायरी में कुछ ऐसे आशार हैं जो नज़र भर देखने के लिए नहीं होते, उनके पास एक घड़ी ठहर कर गुज़र जाना होता है। हाफिज़ का यह शेर एक लम्बी यात्रा को लिए हुए है, जिसमें एक छोर पर खड़े हो जाएं तो इश्क़ आसान नज़र आता है और दूसरे छोर तक पहुचते पहुचते सब कुछ एक मुश्किल में ढ़ल जाता है।


इसी तरह के रूहानी हर्फों से दिल तक का फासला तय करती है अमृता जी की यह किताब “मन मिर्ज़ा तन साहिबा”। 

Book Review: Saat Sawaal - Amrita Pritam


यूँ तो अमृता प्रीतम जी की हर किताब कुदरत की रूह-सी होती है उसको पढ़ना एक नई दुनिया की सैर करने जैसा है, जहाँ अहसास चेहरा लगाये घूमते हैं।

अमृता जी ने अपनी इस किताब सात सवालमें अलग-अलग क्षेत्रों के कलाकार, विद्वान चुने हैं और उन्हे अपनी कला अपनी यात्रा के बारे में बताने का पूरा अधिकार भी दिया है। इस किताब में रखे गये विचार आपके चिंतन के दायरे को विस्तार देते हैं।

खुशवंत सिंह, अनीस जंग, राज गिल, इमरोज़ चित्रकार, कृष्ण अशांत, अमर भारती, घूसवां साइमी जैसे कलाकारों से अमृता जी द्वारा सात सवाल किये गए, जिसमें साँतवा सवाल आजाद था जो उस शख्सियत के स्वयं के ज़हन से था।

जब आप साक्षात्कार संबधी किताबें पढ़ते हैं तो आप उनकी ज़िन्दगी की उस तह से रू-ब-रू होते हैं जहां उनकी कला ने जन्म लिया होगा, उनके अस्तित्व का उद्गम स्थल।

इसी किताब में इमरोज़ कहते हैं 
ज़िन्दगी पानी है और कला उसकी रवानी उसका प्रवाह। कुछ चित्र वक्त के दस्तावेज़ नहीं बनते।"

वहीं मसऊद मुनव्वर फरमाते हैं
रोशनी भर याद की खुशबू जला रखता हूँ मैं,
फ़ासलों के ख्वाब फरदों पर उठा रखता हूँ मैं।

इसके अतिरिक्त एक मीठा सा सच भी पढ़ा मैंने इस किताब में..


तहज़ीब का धर्म से कोइ वास्ता नहीं, सिर्फ इंसानियत से होता है।“ 

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