June 24, 2014

लहरें

Photo Courtesy : Google 

लहरें
जब भी टकराती हैं किनारों से
सजा जाती हैं
कुछ यादें
कुछ सीपीयाँ
अपनी हदें...

हर सीपी में
मोती पा जाएं, किनारे
ये जरूरी तो नहीं
हर पल कहाँ
खुशी से सराबोर होता है...

किनारा मुस्कुराता हुआ
लहरों को
अपनी बाहों में समेट,
आज़ाद भी कर देता है उसी पल,
प्यार के मायने जानता है किनारा
प्यार कभी लगाम नहीं कसता
लेन-देन में कभी प्यार नहीं बसता...

लहरें भी
कहाँ कुछ मांगती हैं किनारों से
बस इक छुअन महसूस कर लौट जाती हैं
सजीव कर जाती हैं एक बेनाम सा रिश्ता
औ’ पीछे छोड़ जातीं हैं
गूंजता हुआ
एक पारदर्शक सा सत्य,

“ना मिल पाऊं कभी तुमसे
पर सदा तुम्हारी हूँ मैं...! “  


- अंकिता चौहान