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1.
इन आयतों में अक्सर
तेरा अक्स ढूंढ़ते हैं,
सुन, इश्क़ की स्याही से इक रब्त फेर दे तू ॥
2.
आइने को भी मुझसे
रश्क सा हो जाता है,
तेरी आंखों में जब
मेरी तस्वीर बोलती है ॥
3.
दिल में एक हलचल सी
मचा जाता है,
तेरा यूँ खामोशी से
मुझे पढ़ते जाना ॥
4.
मुस्कुरा कर हमनें
पूछा जब
उनकी खामोशी का सबब,
मेरी आंखों में एक
अरसे से थमी
नमी देख वो मुस्कुरा
दिये ॥
5.
संभल कर चलना तो
मोहब्बत का दस्तूर नहीं,
पल पल सुलग सके तो
इश्क़ से इश्क़ कर ॥
- अंकिता चौहान