ANKITA's DNA
Of words and pauses
March 16, 2014
अवशेष
Photo Courtesy - Google
कुछ अटक रहा था सीने में
बड़ी देर से,
परखा, समझा, ज़ाना...
कुछ एक हौंसलें जमा किये थे बचपन में
ज़िन्हे वक़्त राख कर गया था
अब टूटे सपनों के अवशेष
सांसो में उलझ
मेरी ज़िन्दगी की मियाद घटा रहे हैं ..!!
- अंकिता चौहान
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