September 11, 2016

किताब समीक्षा: इश्क़ तुम्हें हो जाएगा - अनुलता राज नायर

शीर्षक: इश्क तुम्हें हो जाएगा
लेखक: अनुलता राज नायर
प्रकाशक: हिन्दी युग्म
विधा: कविता संग्रह
पृष्ठ: 96
आईएसबीएन: 9789381394861
रेटिंग: 4/5

इश्क तुम्हें हो जाएगा, अनुलता राज नायर जी का कविता संग्रह कुछ दिन पहले ही पढ़ने का मौका मिला। हांलाकि लेखक से मेरा परिचय तीन साल पहले उनके चर्चित व्लोग से हुआ था। ब्लोग पर पचासों कविताएँ, कहानियाँ हिन्दी का इतने प्रभावी ढंग से लेखन और संकलन मिलना उन दिनों अज़ूबे जैसा था। कई दिनों तक ब्लोग पर अपनी उपस्थिति दर्ज़ कराती रही।

अब जब एक अंतराल के बाद उनकी कविताओं की किताब हाथ में आई तो वो छोटे से सपने के सच होने जैसा था। मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का सवसे खूबसूरत पहलू कविताएँ होती हैं और अनुलता जी की हर कविता इस मानक पर खरी उतरती है। साधारण से शब्दों में अपने दिल का हाल कह देना इतना भी मुश्किल नहीं होता. यह बात इनकी कविताएँ पढ़कर महसूस हुई। बस अपने दिल को नज़रों से होते हुए कागज़ पर उकेरना होता है।

कहीं पर उम्र की उस दहलीज़ पर कदम रखती लड़की दिखी जिसके लिए प्यार एक अनदेखा, अनकहे अहसास जैसा हैं, कहीं पर एक स्त्री के मन के हजारों ख्वाब बाहें फैलाए हवा से तेज़ भागती ज़िंदगी को समेटते दिखे। कुछ कविताएँ दिल पर मरहम का काम करती हैं, तो कुछ जहन में बैचेनी छोड़ जाती हैं।

जब भी मैं कोई अच्छी किताब पढ़ती हूँ तो पूरी होने से पहले थोड़ा ठहर जाती हूँ सोचती हूँ कि इस किताब को फिर से कब पढूँगी, इश्क तुम्हें हो जाएगा एक ऐसी ही किताब है, अपने तकिए के पास रखकर सो जाने वाली। जब भी मन करे किताब का कोई भी पृष्ठ खोलकर खुद के लिए जरा सूकून तलाश करने वाली।

दिल से चाहती हूँ कि अनुलता जी की दूसरी किताब भी जल्दी आए। इस बार क्या पता वो अपनी भावनाओं को, जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को कहानियों का लिबास पहनाकर हमारे हाथों में दे दें। जीवन को गति इन्हीं कहानियों और कविताओं से तो मिलती हैं। ढेर सारी शुभकामनाएँ!

यहाँ इसी किताब के कुछ कविताएँ साझा कर रही हूँ

मेरे हाथों मे तुम्हारा हाथ
यानि
अवसर, संभावना, खुशी
तुम्हारे कांधे पर टिका मेरा सर
यानि
प्यार आशा जादू
तुम्हारा मेरे करीब होना
यानि
ज़िदंगी ज़िदंगी ज़िदंगी
           —      ज़िदंगी

गुज़ारिश है मेरी खुशी से
कि मिला कर मुझे कभी
ऐसे ही
बिना कोई सौदा किए
बिना किसी शर्त के
जैसे तितली आ बैठती है
यूँ ही
किसी फूल पर
  —  गुज़ारिश

प्रेम का एक पल
छिपा लेता है अपने पीछे
दर्द के कई बरस
कुछ लम्हो की उम्र ज्यादा होती है बरसो से
   —  प्रेम की प्रकृति  

परेशां हूँ
जाने कहाँ खो सी गई हूँ
खोजती हूँ खुद को
यहाँ वहाँ खुद में तुम में
हैरां हूँ
तुम्हारे भीतर भी नहीं हूँ
रात तुम्हारी नींद को भी टटोला नहीं
तुम्हारे ख्यालों में भी नहीं
आखिर कहाँ गुम हुई मैं तुम्हें पाने के बाद
              —      तलाश

लेखक के बारे में:
अनुलता राज नायर हिन्दी कविता जगत का एक सुप्रसिद्ध चेहरा हैं। पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में भोपाल में रहकर अपने लेखन कार्य से जुड़ी हुयीं हैं। दैनिक भास्कर, अहा ज़िदंगी, कादम्बिनी और अनेक प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कविताएं तथा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। नीलेश मिसरा के रेडियो शो के लिए पचास से उपर कहानियाँ लिख चुकी हैं। इश्क तुम्हें हो जाएगा अनुलता जी का पहला कविता संग्रह है।   

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