September 25, 2016

Story - Meri Sudha : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra


Story Title: Meri Sudha 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
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उसकी आँखें किताबों की बुक्शेल्फ को यूँ अपलक निहार रही थीं...जैसे दरख्त की उस अलमारी में किताबें नहीं कुछ ज़िंदगियाँ लिपटी हुई हों। कभी उसके लब किताब की एक-दो लाईन्स दोहरा लेते, तो कुछ किताबों का हल्का-सा स्पर्श पाकर उसके चेहरे पर सुकून-भरी लकीर खिंच जाती।

वही सादा सा लिबास...गहरी आखों में हल्का काजल, बेशक सूट की जगह खादी की एक स्टार्च्ड सफेद साड़ी ने ले ली थी और उस पर बेतरतीबी से बिखरे हुए छोटे-छोटे गुलाब जैसे... माली काका ने अभी-अभी अपनी फूलों की टोकरी खाली की हो। बाल भी कुछ लम्बे हो गये थे, एक ढ़ीली-सी चोटी उसके सफेद आँचल में लुका-छिपी का खेल, खेल  रही थी।

मेरी ट्रेन जो कोटा से चलकर जयपुर तक जाने वाली थी। अभी-अभी माधोपुर-स्टेशन पर ठहरी थी। प्लेटफॉर्म पर हलचल थी, कोई पानी की बॉटल के जुगाड़ में लगा था....तो कोई ट्रैन की हर खिड़की तक आवाज़ लगाते हुए दाल-बड़े बेच रहा था।  

लेकिन रेलवे स्टेशन से ज्यादा हलचल मेरी नज़रों में थी। मैंने ट्रैन की इस छोटी-सी खिड़की से, इतनी भीड़ के बावजूद स्टेशन के बुक स्टोर पर एक ऐसा चेहरा देख लिया था, जो मुझे फिर से मेरे अतीत में सिमटी यादों के गलियारों में ले जा रहा था।


मैं अपनी ट्रैन से उतरकर, बेतहाशा भाग रहा था...ढूंढ़ रहा था उस जाने पहचाने चेहरे को, जो मेरे अस्तितव में एक अज़ीब हलचल पैदा कर गया था।