Story Title: Aadhe Adhoore
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra
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ये जाते हुए दिसम्बर की एक सर्द रात थी। आसमान के
ज़िस्म पर...बिछे अनगिनत तारों को मानो ठिठुरन से बचाने के लिए...सफेद कोहरे ने
अपने अंदर समेट लिया था...। रात के बारह बज चुके थे....भले मुम्बई की सड़को पर
अक्सर शोर रहता था...लेकिन राह चलते लोगों की आँखों में मुझे ना जाने क्यूँ हमेशा
एक कशमकश...एक खामोशी ही दिखती।
मैं, माया...अपनी बिल्डिंग के बाहरवे माले पर
बने...इस बारह बाय दस के कमरे में...बत्तीस मोमबत्तियों की झिलमिलाती रोशनी के बीच
घिरी...कभी लौ की तपिश...तो कभी एक कंपक़ंपी महसूस कर रही थी। एक बार फिर मैंने
मोमबत्तियों को गिनना शुरु किया...इस बार इक गहरी सांस के साथ...एक दो
तीन....ह्म्म पूरी पैंतिस ही थी।
पिछले सात सालों से ऐसे ही तो मनाती आ रही
थी...मैं अपना जन्मदिन सबसे दूर..एकदम तन्हा...साथ के लिए होती भी थी...तो बस यही
झिलमिलाती...मोमबतियाँ और कुछ बदलता था तो...इनकी साल दर साल बड़ती संख्या और इसके
साथ....मेरी पल-पल पिघलती उम्र।