September 25, 2016

Short Story - Saanson Ki Mala Mein : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra ( On Jio Saavn App )


Story Title: Saanso ki Mala Mein 
Show Title: Qisson Ka Kona with Neelesh Misra  
Saavn App Link : Click Here



उस दिन साँची के रिश्ते की बात पक्की हुई तो बोली—“माँ, नो शो-ऑफ प्लीज़....सब सादगी से होगा ना? यह कहते हुए उसने अपने काँपते हाथों से मेरी हथेली को थाम-भर लिया था। मेरे साथ-साथ उसने भी ताउम्र एक कड़वा सच जिया था। चिंतन हमारी गुजरती हर साँस का हिस्सा होते हुए भी हमारे साथ नहीं थे। जल्द ही सब समझने लगी थी वो, माँ के अहसाओं को उम्र से पहले पढ़ना सीख रही थी। बेटी कम एक हमकदम दोस्त ज्यादा थी और आज उससे दूर होने की कल्पना-मात्र मेरे अंदर एक सिरहन पैदा कर रही थी।

महीनों की भाग-दौड़ चन्द लम्हों में सिमट गई। सामने सांची सिर झुकाए, पायल की रून-झुन झंकार लिए दहलीज़ की ओर बढ़ रही थी। तो मन ना जाने कैसे-कैसे सवालों से घिर गया क्यूँ विदा करते हैं लोग बेटिय़ाँ? ये कैसे दकियानुसी रिवाज़ हैं...जो अपने जिस्म के टुकड़े को एक दिन परायेपन का तमगा थमा, उसकी जड़ से अलग-थलग कर देते हैं?  

मेरी नज़रें उसकी नज़रों पर टिकी थी। कितना मनाना पड़ा था उसे शादी के लिए। उसके हर एक तर्क को मैंने अपनी बाईस साल की तपस्या का वास्ता देकर चुप तो करा दिया था, लेकिन उसके हाथों से छूटती मेरी उंगलियों की पकड़ और उसका वो अचानक से उस बंद होते शीशे से झांकना मुझे खाली-सा कर गया। साँची विदा हो गई।