बिमल
मित्र... शायद ही कोई हिन्दी साहित्य प्रेमी इस नाम से अनभिज्ञ होगा। बंगाली और
हिन्दी भाषा में लेखन कला के लिए प्रसिद्ध बिमल मित्र जी के उपन्यास और कहानियाँ
आज भी उसी चाव से पढ़ी जाती हैं। कहते हैं ना लेखक कभी मरते नहीं...वह अपने शब्दों
में अपने पात्रों में जीवित रहते हैं।
बिमल
मित्र जी का जन्म 10 मार्च 1921 में हुआ। रेलवे विभाग में कार्यरत होने के कारण
इन्हें भारत में कई जगहों को देखने का मौका मिला। उसी दौरान जन्य जीवन का निकट से
अध्ययन किया। 1956 में नौकरी को अलविदा कह साहित्य लेखन से जुड़े। उपन्यास “साहब बीबी और गुलाम” इनकी मुख्य कृति है। जिस पर बनी फिल्म आज भी क्लासिक्स में रखी जाती है।
इसके
अलावा भी कई उपन्यास हैं जिन्हें किसी कालखंड में नहीं बाँधा जा सकता। बिमल मित्र
जी की कहानियाँ हर वर्ग पढ़ता है। सब आसानी से बिमल मित्र जी द्वारा गढ़े पात्रों
संग जुड़ाव महसूस करते हैं। कोई कृति सूकून देती है कोई उठल पुथल मचा देती है।
हांलाकि ज्यादा नही पढ़ सकी बिमल जी को फिर भी...
ये नरदेह – मेरा परिचय बिमल मित्र जी के लेखन से इसी उपन्यास से हुआ। एक ऐसे रिश्ते
की कहानी है जिसे किसी नाम में बांधना शायद मुमकिन ना हो, प्यार.. इश्क़.. बहुत ही
छोटे शब्द है। संदीप लाहिरी और विशाखा मुख्य पात्र है जो कि आपको शायद प्यार की एक
नयी परिभाषा सिखला दे। मुख्य पात्र प्यार में होकर भी कोई अधिकार नहीं मांगता और अपना
सारा जीवन अपने प्यार के लिए खुशियाँ समेटने में बिता देता है। स्वार्थहीन प्रेम
को बिमल मित्र जी ने अपने इस उपन्यास मे बखूबी दिखाया है! अगर आप को याद हो तो फिल्म
अभिनेत्री ग्रेसी सिंह ने इस उपन्यास पर बने टी.वी सीरीयल में अभिनय भी किया था।
जिसका प्रसारण दूर दर्शन पर “इंतजार और सही” के नाम से हुआ था।
नायिका
– बिमल मित्र जी की नायिका में मुख्य पात्र एक ऐसी महिला है जो कि समाज की नजरों
में सम्पूर्ण होते हुए भी अधूरी है। अगर आपने हिन्दी सिनेमा जगत की “तीसरी कसम” देखी हो तो शायद को-रीलेट कर पाऎंगे। बिमल
मित्र जी का लेखन संवेदनशील है.. जो कि आपको कहानी के अंत तक इंसानी वजूद के कई
आयामों से रूबरू करवाता है। यह भी खूबी है बिमल जी की उनके पात्र यथार्थता के करीब
रहकर ही कहानी को आगे बढ़ाते है।
“सचमुच, मैडम
को सम्भालना बड़ा ही टेढ़ा काम था। मैडम का किस वक्त कैसा मूड रहता है, यह शायद मैडम के सृष्टिकर्ता को भी नहीं
मालूम था। रुपयों की या किसी फैशनेबल चीज की जरूरत हो, तब तो समझ में भी आए। लेकिन यह लड़की कब
किस चीज के लिए खीज उठेगी,
यह समझना किसी के वश
की बात नहीं थी। बलाई सान्याल ने भी कम कोशिश नहीं की थी।“
सबसे
उपर कौन – अपने इस उपन्यास में बिमल मित्र जी ने बंटवारे (Partition) का दर्द प्रस्तुत किया है। मुख्य पात्र
आबिद एक डॉक्टर हैं जो कि अपना वतन ना“ छॉंड़ने का फैसला लेते हुए हिन्दुस्तान में
ही रह जाते हैं। फिर कैसे वो एक अनाथ लड़की का पालन करते हैं ये जानते हुए कि वो हिन्दु
है...बिना किसी की परवाह किए अंत एक पिता का फर्ज निभाते है कहानी इन्ही के इर्द गिर्द घूमती
है।
बिमल
मित्र की श्रेष्ठ कहानियाँ – अगर आप लघु कथा प्रेमी है तो बिमल जी की कहानियों का
यह संकलन आपको अवश्य पढना चाहिए। हर कहानी आपको अहसासों का एक नया ही रूप दिखाती है फिर
भी मुझे.. “नाम, भूखी पीढ़ी, दूसरा पहलू और बेशर्म” बेहद पंसद आयी। जिंदगी के किसी एक खण्ड को
द्रर्शाने वाली ये कहानियाँ अखण्ड हैं.. अपने आप में पूर्ण।
कगार
और फिसलन – बिमल मित्र जी के उपन्यास “कगार और फिसलन” में इनके व्यक्तित्व का नया स्वरूप सामने
आता है। पढ़कर लगा ये किसी ऐसे लेखक की रचना है जिसने भारत में इतनी रूढ़ियों के बीच
जन्म लेकर अपने लेखन को उन्मुक्त रखा। अगर आपने मुराकामी की “ स्पुतनिक स्वीटहार्टस’ पढी हो तो आप जान
जाएंगे कुछ ही पृष्ठ बाद कि कहानी की मुख्य पात्र मिस श्रॉफ का अंत इतना मर्मांतक
क्यूँ था।
वही
इसी किताब की दूसरी कहानी अटल दा, कुंती और इंन्दुलेखा के मध्य घूमती है जो अंत
में एक संदेश पर खत्म होती है कि किसी के बारे में पहली नज़र में राय बना लेना आपको
मूर्ख साबित करता है और कुछ नहीं। कुल मिलाकर किताब पाठकों को अंत तक बांधे रखती
है।
अभी
तक बस इतना ही पढ पायी हूँ.. बिमल मित्र जी को.. जानती हूँ काफी कुछ बाकी है शायद
यह किताबें ही हैं जिन्दगी में... जो थोड़ा और जीने के लिए मजबूर कर देती हैं...।