जिस किताब का इंतजार काफी समय से था और पहली बार कोई किताब प्री-ऑर्डर करते वक़्त नहीं सोचा था कि वो इतनी सारी खुशियों के साथ मिलेगी। नीलेश जी ने यहाँ भी अपना अंदाज़ नही छोड़ा और यही बात उनको सबके बीच रहते हुए भी भीड़ से अलग करती है, कंचन जी की कहानियांँ गाँव कनेक्शन में लिपटी हुई आयीं। और साथ ही क़िताब में नीलेश जी के हस्ताक्षर। कहानियाँ पढ़के लगा जितना सोचा था... उससे कहीं ज्यादा मिला ।दिल से धन्यवाद..!
A million Thanks :)