September 19, 2015

Book Review : Bebaak by Kanchan Pant


टाईटल: बेबाक
लेखक: कंचन पंत
पब्लिशर: नीलेश मिश्र (कॉटेंट प्रोजेक्ट बुक्स) 
पेज- 177
रेटिंग- 5/5

अगर पता हो लाईफ में आगे क्या होना है तो ज़िंदगी विडीयो गेम नहीं बन जाएगी?

एक आम इंसान के दिमाग की कोडिंग कुछ इस तरह से की गई होती है कि वो सीखाने पर कम ऐक्शंस से ज्यादा सीखता है। जब कोई हमें समझाता है तो वो बात कभी काल्पनिक लगती और कभी लेक्चर। फिर भी लगता है जिंदगी हमारी है जीवन जीने का अंदाज़ भी हमारा होगा, फिर आती है कहानियाँ, लेखकों की ऐसी दुनिया जहाँ दर्द का अनुभव किए बिना दूसरों के अनुभवों से हम सीखते, उन्हें बकायदा महसूस करते हैं। हिन्दी साहित्य की भी अपनी दुनिया है जिसमें पिछले दिनों एक नया नाम जुड़ा ‘बेबाक – क़ंचन पंत’। हाँलाकि क़ंचन पंत एक नया नाम नहीं है इनकी कहानियाँ नीलेश मिश्र (Sir) क़े रेडियो शो YKIB में सुन चुके है सौ से उपर कहानियाँ लिख चुकी कंचन जी ने अपने श्रोताओं को बेबाक के रूप में यह खूबसूरत तोहफा दिया है। 

यूँ तो ग्यारह कहानियों का एक छोटा सा संग्रह है बेबाक जिसे एक दिन में पढ़ लिया मैंने। जहाँ भारी भरकम शब्द उबाऊ लगते है बेबाक का लेखन इस् सरलता से किया गया है कि लगता है एक नदी सी बह रही है और हम उसके पानी में पाँव डाले देख रहे हैं कहानी के पात्रों को आकार लेते हुए, या जैसे घास का हरा मैदान, खामोशी और कंचन जी की कहानियाँ कभी दिल को गुदगुदाती हुई कभी रुलाती हुई पर तय है अंत में कुछ ऐसा परोस देंगी आपकी हथेली पर कि लगेगा कितनी सारी लाइफ वेस्ट कर दी, अब वाकई जीना है ये कोई सेल्फ-हेल्प टाइप बुक नहीं है बस आपको शायद याद दिला दे आपके जीवन का कोई Phase.. जब हज़ार नाकामयाबी के बावजूद आप जिंदग़ी काटते नहीं थे, जीते थे।

कहानी का हर पात्र अपनें में बिखरा हुआ फिर भी कितना पूर्ण, कितना जीवित। दरअसल कचंन जी की लेखनी की और उनके नज़रिये की तारीफ करनी होगी, हम खुद को खड़ा पाते हैं उनके लिखे लफ्ज़ों के बीच। लगता है लेखक ने हमारी ज़िंदगी से वो सच चुरा कर यहां लिख दिया जिसे खुद से कहने से भी डरते थे हम।

वैसे तो सारी कहानियों अपना अलग अंदाज लिए हुएँ है तुलना करना शायद गलत हो फिर भी मुझे, ‘धनपुतलियाँ, तितलियाँ, ट्रेन का हमसफर, हैप्पी बर्थ डे मिसेज त्रिपाठी, सफेद पंखों वाला सारस, एक थी प्रतीक्षा’ दिल के करीब लगी, रुला दिया मुझे, होठों पर एक मुस्कान के साथ। किताब पढ़ ली गई है पर लगता है शायद ही कभी पूरी पढ़ पाउँगी।

क़ंचन पंत जी की इस अनमोल किताब के लिए नीलेश जी और उनकी क़ॉंटेंट प्रोजेक्ट की पूरी टीम को शुभकामनाऐँ और हाँ कवर पेज (क़्रुतिका जोशी) भी बेहद खूबसूरत है, कहानियों के हर एक पात्र का सटीक चित्रण..! 


लेखक के बारे में


पेशे से लेखक और पत्रकार है जो की 6 साल तक NDTV जुड़ी रही न्यूज रूम की हलचलों को जिया। और फिर कुछ नया करने का ख्वाब लिए लेखन क्षेत्र में कदम रखा। नीलेश मिश्र जी के शो के लिए 100 से उपर कहानियाँ, स्क्रिपट्स, स्क्रीनप्ले लिख चुकी, बेबाक कंचन जी की यह पहली किताब  है। जो कि अपनी सादगी से अपने अहसासो से दिल के अंदर चहल कदमी करती हैं।