Photo Courtesy - Google |
वो कहते हैं
कुछ कर नहीं सकती ना
तो लिखती है
चंद शब्दों के जोड़
भाग में
वक़्त ही गुज़ार लेती
है अपना ...
सही मायनों में
जानती हूँ मैं, कैसे
एक-एक याद पर जमीं
ग़र्द झाड़
एक-एक छवि को
लफ्ज़ दे,
बचा रहीं हूँ “ खुद
को “ ख़ाक होने से ...
सहेज़ रही हूँ
अपनी ज़िंदगी के
कंठ में गूँजते अलाप
का
सबसे मीठा स्वर
...!!
- अंकिता चौहान