March 23, 2014

आदत भर है !!

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इन लफ्ज़ों के खेल को,
मुहब्बत का तमगा ना थमा...

इन फुरसत के लम्हों में छेड़े,  
साज़-ए-दिल्लगी को इश्तिहार ना बना...

जब तलक उसका नाम सुन
तेरी सांसों की रफ्तार न बढ़े,  
तुझे इश्क़ नहीं, इश्क़ की हसरत भर है...

जब तलक उसके ज़ज्बात
तेरी आंखों से ना बहें
तुझे इश्क़ नहीं, इश्क़ की गफ़लत भर है...

जब तलक उसकी हर खता
तेरे लिये अदा ना बनें,
तुझे इश्क़ नहीं, ‘उसकी’ आदत भर है ॥


- अंकिता चौहान