September 11, 2023

सत्यजीत राय - सोने का किला । फेलूदा सीरीज़ - जासूसी उपन्यास


किताब: सोने का किला
लेखक: सत्यजीत राय
प्रकाशक: राजकमल बुक्स 
पेपरबैक: 120 पृष्ठ  


सत्यजीत राय की फेलूदा सीरीज़ से शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। किशोर पाठकों के लिए लिखी गई यह किताब सोने का किलाएक जासूसी उपन्यास है। राजस्थान की नींव पर खड़ी यह रहस्यमयी कहानी, बीकानेर, किशनगढ़, जोधपुर, और जैसलमैर जैसी कई जगहों की संस्कृति, और अनूठे वातावरण में गुँथी है।

यह मुकुल कथा है, एक ऐसे बच्चे की कहानी जिसे अपने पिछले जन्म की बातें याद हैं। उसे सपनों में सोने का किला दिखता है, साथ ही युद्ध का मैदान और उसके पार अपना घर।

मुकुल की व्यथा को दूर करने के लिए उसे राजस्थान ले जाया जाता है। कहानी में मोड़ तब आता है जब उसके यात्रा पर निकलते ही पड़ौस में रहने वाले बच्चे को मुकुल समझकर अग़वा कर लिया जाता है। उसके पिता की विनती पर मुकुले के पीछे-पीछे एक जासूस को राजस्थान यात्रा पर भेजा जाता है, और कहानी में पदार्पण होता है, जनाब फेलूदा का, पूरा नाम प्रदोष मित्तिर। सोने का किला और उसमें ग़ढ़ा खजाना, खजाने को पाने की लालसा लिए कुछ बदमाश – पूरी कथा इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। कई मकड़जाल और उनसे पार निकलते फेलूदा। यह उपन्यास हर उम्र के पाठकों के लिए है - सहज और पठनीय। किताब में बने स्कैच सत्यजीत राय ने ख़ुद उकेरे हैं।    

किताब का अंश  

“पूर्व जन्म की कथा कहने वालों का मुझे पता है। कुछेक लोग होते हैं जिन्हें हठात पूर्व जन्म की बात याद आ जाती है। उन्हें बांग्ला में 'जातिस्मर' कहते हैं। लेकिन वास्तव में पूर्व जन्म जैसा कुछ होता है ऐसा फेलूदा भी नहीं जानते हैं। फेलूदा ने चार मीनार का पैकेट खोलकर उन साहब की तरफ बढ़ाया। उन्होंने मुस्कराकर सिर हिलाया और कहा कि वे सिगरेट नहीं पीते हैं। इसके बाद वे बोले, आपको शायद याद होगा कि मेरे लड़के की उम्र आठ साल है-एक स्थान का वर्णन करता हुआ कहता है कि यह भी वहाँ गया था। लेकिन उस स्थान पर मेरा बेटा तो क्या मेरे बाप-दादे भी नहीं गए थे। कैसे गरीब-गुजरान करते हैं हम लोग यह तो आप जानते ही हैं। दुकान भी आपने देखी ही है, और इधर तो किताबों का व्यापार दिन-ब-दिन।

आपका लड़का तो एक किले की बात करता है ना?' फेलूदा ने बीच में ही उन्हें रोककर पूछा। "जी हाँ. कहता है कि सोने का किला। उस पर तोपें रखी हैं, युद्ध हो रहा है. आदमी मर रहे हैं। यह सब वह देख रहा है। वह खुद पगड़ी बाँधे ऊँट पर बैठा बालू के टीलों पर घूमता था। बालू की बात बहुत करता है। और हाँ, मोर की भी बात बताता है तथा हाथी घोड़ों की बात भी उसके हाथ पर कोहनी के पास एक दाग है जन्म से ही हम तो इसे जन्मदाग की समझते थे लेकिन वह कहता है कि एक बार मोर ने वहाँ चोंच की चोट मारी थी यह उसी का दाग है।"