April 09, 2021

Murakami's Birthday Girl



करीब चार बजे पापा रूम में आए, बोले “क्या हुआ, पढ़ नहीं रही?” किताब सामने रखी थी, खुली हुई। मैंने किताब को बेमन से उठाया, बुकमार्क निकाला “पापा मुझे पचास का होना था, ये किताब मुश्किल है, समझ नहीं आ रही” वो बोले उठा के रख दे

यह हिन्दी साहित्य के एक बड़े लेखक की किताब है, काफी अलग, एक्सपेरिमेंटल राईटिंग। कुछ वक्त पहले ऐसे ही एक किताब और पढ़ी थी, वो भी इतनी vague एंडिंग के साथ ख़तम हुई थी, मुराकामी की बर्थ डे गर्ल 

आज फिर से किंडल में वही किताब खोली, छोटी-सी कहानी है। जिसे मुरकामी के 70th जन्मदिन पर रिप्रिंट किया गया था। कहानी का मुख्य पात्र बीस साल की लड़की है जो की टोक्यो के एक इटेलियन होटल में वेट्रेस का काम करती है, आज उसका बीसवां जन्मदिन है, कुछ प्लांस थे लेकिन हाल ही में ब्रेक-अप होने के बाद आज वो अकेली है, उसे ये भी नहीं पता कि कोई और उसे विश करेगा? लेकिन उसे विशेज मिलती हैं इस होटल के रहस्यमयी ऑनर से। जो कि इसी होटल के ऊपर अपने ऑफिस में कई बरसों से रह रहा है, जिसे किसी ने नहीं देखा, सिवाय इस होटल के मैनेजर के, क्यूंकी मैनेजर आज दस सालों में पहली बार बीमार पड़ा है तो आज खाना वही लड़की लेकर जाएगी। उसे खाना चुपचाप उनके कमरे के बाहर जाकर छोड़ देना था, लेकिन कुछ देर बाद वो लड़की ऑनर के साथ बैठी दिखती है, और उन्हीं की रिक्वेस्ट पर रेड वाईंन के साथ अपना जन्मदिन सेलीब्रेट कर रही होती है, जब होटल के मालिक उससे  एक विश मांगने को कहते हैं तो उसने क्या मांगा होगा? और दस साल बाद उसकी ज़िंदगी कैसी है, कहानी इसी के साथ खत्म होती है, कहीं पर भी नहीं बताया गया आखिर उस लड़की ने उस दिन मांगा क्या था बस यहीं पंक्तियाँ इस कहानी का सार हैं

“No matter what they wish for, no matter how far they go, people can never be anything but themselves. That’s all.”

ये कहानी आज जब फिर से पढ़ी तो जैसे बहते पानी सी साफ लगी, उस लड़की ने क्या मांगा होगा ये समझ आया। कुछ किताबें वक्त लेती हैं, इंतज़ार करती हैं आपके लौटकर वापस आने का।