March 04, 2018

Short Story: Do Dilon Ke Beech (The Neelesh Misra Show)

वो मेरे घर की छत पर खडी थी। आँखो से अक्टूबर की गुनगुनी धूप सेकती हुई। उसका एक हाथ कमर पर था और दूसरा हाथ दाँतो पर ब्रश घुमाने में व्यस्त, वो खुद में इतनी डूबी हुई थी जैसे दाँत साफ करना दुनिया का सबसे जरूरी काम हो। पीछे गर्दन पर झूलते जूडे से कुछ बाल निकलकर आगे कंधे पर आ गए। जिसे उसने ऐसे ही रहने दिया। वो कभी दो-कदम पीछे जाती, कभी चार-कदम आगे। कभी झुककर मुंडेर पर रखे गमलों को देखती तो कभी आँखे मिचकाते हुए मेरे घर के चारों ओर फैली पेड़ो की लम्बी कतारों को। 

इधर-उधर डोलती उसकी नजरें इस बीच मुझसे टकराई। वो थोडी असहज हो गयी। उतनी ही जितना मैं हुआ, उसे अपने घर में देखकर।