March 04, 2018

Short Story: Joycee (The Neelesh Misra Show)

शाम के पाँच बजे थे। बालकनी से धूप सिमटते देख, मेरे हाथ और तेजी से चलने लगे। एक-एक कपडे की पॉकेट चेक-कर, मैं उन्हें वाशिंग-मशीन में डालने लगी। तभी सरसरी निगाह से मैंने कमरे में देखा। बिस्तर पर कुछ कपडे छूट गए थे। मैं अंदर आयी तो कमरे में फैली खामोशी ने घेर लिया। मैंने बैड पर लुढके रेडियो को ऑन कर दिया।
दिल्ली FM पर कोई पॉप-सांग चल रहा था। अगर गाने, मूड के हिसाब से ना बजे तो कितने बेसुरे लगते हैं। रेडियो ऑफ करके, मैं वहीं बिस्तर पर बैठ गयी। कमरे में फिर खामोशी साँस लेने लगी।
चादर पर पडी सलवटें निकालते हुए, मैंने हाथ बढाकर सिरहाने रखा कुशन उठा लिया। उसपर बने चेहरों को देखकर, पाँच महीने पहले की वो भीगी शाम याद आ गई।