May 27, 2015

लौट कर आना तेरा

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लौट कर आना तेरा
मुमकिन नहीं अगर
इन वादों की रसीदें
तू साथ लेता जा..

ये निगाह-ए-तन्हाई औ
खामोशियों के सुर
रूठा हुआ दिल-ए-साज़ भी
तू साथ लेता जा..

आँखों में ठहरी नमी
हथेली पर आ ज़मी
लकीरों में उगते उफ़ूक भी
तू साथ लेता जा..

माना के तेरे चर्चे
तेरी शोहरत सर-ए-जहां
गुजरी तेरे बगैर
ये मेरी ज़िदगी निहां..
सांसों में आ उलझा है
इक आखिरी अरमां
बेमाने इस वज़ूद से
निज़ात देता जा..

लौट कर आना तेरा
मुमकिन नहीं अगर
इन वादों की रसीदें
तू साथ लेता जा.. 

- Ankita Chauhan