February 21, 2014

परिचय

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पहली बारिश में भीगी मिट्टी से
उठती सौंधी खुशबू ...
तो कभी, हथेली पर बेफिक्र महकती हिना मैं ॥

ख़ामोश तस्वीर के बोलते रंग ...
तो कभी, नज़्म बन कागज़ पर बहता एक लहज़ा मैं ॥

यादों का अब्र बन सांसों में सिमटती इक साँझ ...
तो कभी, चाँद के नूर को मुकम्मल करती इक शब मैं ॥

सब्र को उम्मीदों में बदलता एक संवाद ...
तो कभी, झूठ को उम्र भर जीता एक सत्य मैं ॥

एक मुस्कुराहट माँ के होंठो की ...
तो कभी, बाबा के माथे की सिलवटों में
छिपी एक फिक्र मैं ॥

वसंत में गूंजती कान्हा की बंसी ...
तो कभी, पतझड़ में राधा के नैनों से
बहता इंतज़ार मैं ॥

तेरे थिरकते लबों पर अठखेलियाँ करती
एक मीठी सी चुप ...
तो कभी, तेरे अंतर्मन के साथ आँख-मिचोली खेलती
निस्वार्थ प्रेम की ज़ुबान मैं ॥

- अंकिता चौहान

February 19, 2014

तारीखें !!



Photo Courtesy - Google

पुराने साल का कैलेंडर निकाल
नये के पीछे टांग लिया,
इस तरह उलझी ज़िन्दगी से
थोड़ा और वक़्त उधार लिया ।
नये कैलेंडर में
फिर समा गए
प्यार भरा आगाज़ तकते
कई टूटे बिखरे रिशते,
कुछ जलमग्न नैन पंखुड़ियाँ
और कुछ गिले शिकवे ।

नये कैलेंडर में
जड़ दी गयीं फिर कुछ तारीखें
इसका जन्मदिन उसकी सालगिरह,
डॉक्टर अपॉइटंमेंट एक कोर्ट ज़िरह |

नये कैलेंडर में
छेड़े गए फिर छुट्टियों भरे सुरीले तार
होली दिपावली जैसे,
निरंतर अपना महत्व खोते
कई खुशरंग त्योहार ।

तभी कुछ तारीखें
यादों के दायरे तोड़ झलक पड़ी आंखों से
और चढ़ा गई लबों पर...
खामोशी भरी मखमली शॉल ।
वो इक
भीगा हुआ दिन तुझ संग मसरुफियत का,
वो इक
भीगी हुइ शाम तुझसे अज़नबियत की !!   



- Ankita Chauhan