June 22, 2013

तेरे लिए


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आज फिर कुछ उकेरा है 
कागज़ पर
तेरे लिए ...
हर शब्द चखा है ,
हर लफ्ज़ तोला है
यादों के तराज़ू  पर
तेरे लिए ..

रिश्ते को
एक नया आयाम 
देने की कोशिश की है ,
बांधा है
दिल की कई उचाँईयों को ,
वादों की गहराईयों से  
तेरे लिए ..

बेमानी बंदिशों को
छुपा दिया है सन्दूक में ,
नादान चाहत ने फिर
पंछियों सी 
उड़ान भरी है आज
तेरे लिए ..

ताज़े फूलों की तरह महकता
अपनत्व भेजा है ,
अक्षरों का लिबास लिए  
मात्राओं में बांध अपनी धड़कनों को भेजा है
बस .. तेरे लिए !!



- अंकिता चौहान