September 29, 2023

Janice Pariat's Everything The Light Touches | On the longlist of JCB Prize for Literature (2023)



Title: Everything That Light Touches
Author: Janice Pariat
Publisher: HarperCollins India (2023)
Genre: Literature, Nature
ISBN: 978-9356291393
Hardcover: 512 Pages
Buy the book: Amazon 

In Janice Pariat's book, "Everything the Light Touches," she seamlessly blends research with imagination across centuries. The narrative delves into the lives of four individuals: Shai, Evelyn, Johann (Goethe), and Carl, whose journeys are interconnected like the roots of an ancient Banyan tree.

In her previous work, "Nine Chambered Heart," Pariat employed a unique narrative technique, recounting the girl's story through various characters, including teachers, lovers, and flatmates. In "Everything the Light Touches," she continues with this approach, using multiple perspectives, to enrich the narrative.

The central character of the story is Shai, a woman in her thirties. The book begins with Shai's journey as she prepares to fly from Delhi airport to her hometown, Meghalaya—a place seemingly forgotten by its own country. ‘We land in a place that falls off the map. So far east in this vast country that it feels not of this country anymore.’ 

While each of us must eventually return to our origins, Shai is concerned about her family and community.

Pariat in an interview: We live in a world of very unequal stories, where someone like Karl Linnaeus will be known but somebody from a small little corner of India's northeast, who might have the same amazingly profound ideas about our relationship to the natural world, will quite easily be dismissed. It was very important for me to place these stories also on the same plane, so that Goethe and Linnaeus exist amidst all of these other characters who are equally valid, equally important.

Pariat excels at crafting multi-dimensional characters, and it's the small details that breathe life into her work. For instance, when Shai reunites with her mother, Pariat vividly describes the encounter, ‘it’s been less than a year since I’ve seen her—in which secret hours did she age? When I hug her, though, she smells familiar, of wool and naphthalene and hand cream…’

The narrative then shifts to Evelyn, deeply passionate about botany, and less interested in conventional life. Frustrated by the lack of academic opportunities in England, she embarks on a journey to India, to explore the Himalayan flora and fauna.

One of the most innovative chapters belongs to Carl. Pariat fearlessly experiments with storytelling in this section, incorporating approximately 40 micro-poems that are both lyrical and comforting. These poems range from one-liners to free verses, with "How to Hunt a Bear" consisting of just three words: "Do not miss."

SIGNS

The peasants who reside near the cliffs or rising ground judge by the crows the approach
of bad weather; for these birds seek the marshy country before it comes on.
They say they have been reading such signs for years.   

Here, I am borrowing the words of Nilanjana Roy: Everything the Light Touches is a magnificent reminder that the natural world does not lie outside of ourselves, and that when we break trust with the earth, we break our own spirits into scattered fragments. Janice Pariat finds a new language of connection, wonder, and loss, for the songs of the earth from Lapland and Goethe's Europe to the Lower Himalayas and remote villages in India's Northeast, her stories dancing between centuries in this generous and intricate work.

As Henry Miller said, "One's destination is never a place, but a new way of seeing things." 

Janice Pariat's "Everything the Light Touches" is not just a book but a grand narrative that delves into the essence of existence, human bonds spanning ages, botanical wonders, poetic beauty, and profound discoveries. It has earned a place on the longlist of the JCB Prize for Literature in 2023.

  

About the Author


Janice Pariat is the author of Boats on Land: A Collection of Short Stories, Seahorse: A Novel, and the international bestseller The Nine-Chambered Heart. She was the recipient of the Young Writer Award from the Sahitya Akademi and the Crossword Book Award for Fiction in 2013. Janice's work has been translated into ten languages. She teaches at Ashoka University, and lives between New Delhi and Shillong with a cat of many names.

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September 11, 2023

सत्यजीत राय - सोने का किला । फेलूदा सीरीज़ - जासूसी उपन्यास


किताब: सोने का किला
लेखक: सत्यजीत राय
प्रकाशक: राजकमल बुक्स 
पेपरबैक: 120 पृष्ठ  


सत्यजीत राय की फेलूदा सीरीज़ से शायद ही कोई अनभिज्ञ हो। किशोर पाठकों के लिए लिखी गई यह किताब सोने का किलाएक जासूसी उपन्यास है। राजस्थान की नींव पर खड़ी यह रहस्यमयी कहानी, बीकानेर, किशनगढ़, जोधपुर, और जैसलमैर जैसी कई जगहों की संस्कृति, और अनूठे वातावरण में गुँथी है।

यह मुकुल कथा है, एक ऐसे बच्चे की कहानी जिसे अपने पिछले जन्म की बातें याद हैं। उसे सपनों में सोने का किला दिखता है, साथ ही युद्ध का मैदान और उसके पार अपना घर।

मुकुल की व्यथा को दूर करने के लिए उसे राजस्थान ले जाया जाता है। कहानी में मोड़ तब आता है जब उसके यात्रा पर निकलते ही पड़ौस में रहने वाले बच्चे को मुकुल समझकर अग़वा कर लिया जाता है। उसके पिता की विनती पर मुकुले के पीछे-पीछे एक जासूस को राजस्थान यात्रा पर भेजा जाता है, और कहानी में पदार्पण होता है, जनाब फेलूदा का, पूरा नाम प्रदोष मित्तिर। सोने का किला और उसमें ग़ढ़ा खजाना, खजाने को पाने की लालसा लिए कुछ बदमाश – पूरी कथा इन्हीं के इर्द-गिर्द घूमती है। कई मकड़जाल और उनसे पार निकलते फेलूदा। यह उपन्यास हर उम्र के पाठकों के लिए है - सहज और पठनीय। किताब में बने स्कैच सत्यजीत राय ने ख़ुद उकेरे हैं।    

किताब का अंश  

“पूर्व जन्म की कथा कहने वालों का मुझे पता है। कुछेक लोग होते हैं जिन्हें हठात पूर्व जन्म की बात याद आ जाती है। उन्हें बांग्ला में 'जातिस्मर' कहते हैं। लेकिन वास्तव में पूर्व जन्म जैसा कुछ होता है ऐसा फेलूदा भी नहीं जानते हैं। फेलूदा ने चार मीनार का पैकेट खोलकर उन साहब की तरफ बढ़ाया। उन्होंने मुस्कराकर सिर हिलाया और कहा कि वे सिगरेट नहीं पीते हैं। इसके बाद वे बोले, आपको शायद याद होगा कि मेरे लड़के की उम्र आठ साल है-एक स्थान का वर्णन करता हुआ कहता है कि यह भी वहाँ गया था। लेकिन उस स्थान पर मेरा बेटा तो क्या मेरे बाप-दादे भी नहीं गए थे। कैसे गरीब-गुजरान करते हैं हम लोग यह तो आप जानते ही हैं। दुकान भी आपने देखी ही है, और इधर तो किताबों का व्यापार दिन-ब-दिन।

आपका लड़का तो एक किले की बात करता है ना?' फेलूदा ने बीच में ही उन्हें रोककर पूछा। "जी हाँ. कहता है कि सोने का किला। उस पर तोपें रखी हैं, युद्ध हो रहा है. आदमी मर रहे हैं। यह सब वह देख रहा है। वह खुद पगड़ी बाँधे ऊँट पर बैठा बालू के टीलों पर घूमता था। बालू की बात बहुत करता है। और हाँ, मोर की भी बात बताता है तथा हाथी घोड़ों की बात भी उसके हाथ पर कोहनी के पास एक दाग है जन्म से ही हम तो इसे जन्मदाग की समझते थे लेकिन वह कहता है कि एक बार मोर ने वहाँ चोंच की चोट मारी थी यह उसी का दाग है।" 

मानव कौल - रूह । कश्मीर यात्रा पर आधारित

 



किताब: रूह 
लेखक: मानव कौल
प्रकाशक: हिंदी युग्म
विधा: यात्रा-संस्मरण 
पेपरबैक: 175 पृष्ठ

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मानव कौल की यह किताब 'रूह', कश्मीर पर लिखा गया यात्रा-संस्मरण है। यात्रा बाहरी से कहीं अधिक भीतरी। मन में चलती उठा-पठक और नॉस्टालजिया। समकालीन विषयों से इतर, यहाँ मानव की नज़र से कश्मीर दिखता है। कश्मीर जो उनका घर था, वह जिस मनोभाव से घर की दीवारों-दरवाज़ों को अपने लिखे में जीवित करते हैं, सराहनीय है।

दृश्य, जब वह बचपन में मौजूद लोगों को अपने सामने पाते हैं, सुंदर है। मानव खुद कहते हैं कि ये कश्मीर के ज़्वलंतशील मुद्दों को केंद्र में रखकर लिखी गई किताब नहीं है। यह डॉक्यूमेंटेशन है, एक ऐसे बच्चे का जिसका जीवन उस एक क्रूर हादसे ने बदल कर रख दिया।

किताब में एक अन्य पात्र, रूहानी जो पूरी यात्रा में उनके साथ है, ‘बहुत दूर कितनी दूर होता है’ में भी आप इसी तरह के पात्र से रू-ब-रू हुए होंगे। क्या ये पात्र काल्पनिक हैं? नाम भले अलग हों, लेकिन वे प्रतिरूप होने का आभास देते हैं, यह दोहराव पाठक को ज़रा विलगाता है।

अगर आप मानव कौल को पहली दफ़ा पढ़ रहे हैं तो यह किताब जादू-सी लगेगी।

ईमानदार राय रखूँ तो मानव ने जितना खुद को ‘बहुत दूर कितना दूर होता है’ में रचा है, ‘रूह’ उस उँचाई को छूने से ज़रा चूक गई। सनद रहे, इनकी किताबों के ज़रिए अनगिन हिंदी पाठक तैयार हो रहे हैं। और यह एक उपलब्धि है। किताब का एक अंश साझा कर रही हूँ -

सन् 1988 के बाद से जो भी घटा था इस वादी में, और वादी से निकल गए सारे परिवारों ने जो सहा था, उन सब लोगों की कहानियों को अगर हम सुनना शुरू करेंगे तो हमें अपनी इंसानियत पर शर्म आने लगेगी। जिस तरह बाहर रह रहे कश्मीरी पंडितों को छूते ही वे फूट पड़ते हैं, ठीक वैसे ही यहाँ रह रहे कश्मीरी मुस्लिम भी पुरानी घटनाओं पर फट पड़ते हैं। लेकिन इन सबमें पंडितों का कश्मीरी मुस्लिम और कश्मीरी मुस्लिम का पंडितों के प्रति स्नेह भाव ख़त्म नहीं हुआ है। यहाँ घूमते हुए जब भी किसी को पता चलता है कि मैं पंडित हूँ, ठीक उसी वक़्त से हमारी बातचीत में एक अपनापन आ चुका होता है। 'इसे सब पता है' वाला एक भाव दोनों के संवादों में रहता है। अब जो पंडितों की नई पीढ़ी है, उसे घटनाओं की सुनी हुई जानकारी है, जिन्होंने उन घटनाओं को जिया था वे या तो बहुत बूढ़े हो चुके हैं या वे अब नहीं रहे। कश्मीरी मुस्लिम बच्चे जो उस वक़्त बड़े हो रहे थे, या जो पंडितों के बच्चे यहाँ से नहीं गए थे, उनके बचपन के जिए हुए की छाप उनके चेहरे... पर साफ़ दिखती है। 'तुम लोग तो चले गए थे, मैं इस वाक्य के पीछे का मर्म समझ सकता हूँ।

September 02, 2023

Dinesh Pathak's Mrs. Simon is Waiting and Other Stories | Translated by Sneha Pathak



Title: Mrs. Simon is Waiting and Other Stories
Author: Dinesh Pathak
Translator: Sneha Pathak
Publisher: Antika Prakashan
Genre: Fiction, Short Stories
ISBN: 978-8196206376
Paperback: 160 Pages
Buy the Book: AMAZON

In "Mrs. Simon is Waiting and Other Stories" by Dinesh Pathak, the complexities of human nature take center stage and paint a vivid picture of small-town India. With each narrative, the author brings to life the sights and sounds, weaving a mosaic of emotions.

Within these tales, characters, regardless of age or social status, grapple with universal themes such as love, loss, dreams, and resilience. Amidst the chaos of life, these stories offer solace through their honest depiction of everyday experiences. Whether it's a father's quest for a suitable suitor for his daughter or an elderly man's poignant recollections of enduring love, these narratives provoke introspection.

The first story, "Homecoming," revolves around a young man facing parental disapproval due to his unemployment. He resists the idea of mundane clerical work, but fate has other plans, leading to an unexpected twist.

Simplicity is the essence of this collection. Each story serves as a window, offering social commentary on various themes. "Siyabar Babu and the Suitable Boy" delves into the societal ill of dowry demands, and how sacred bonds become transactions. Pathak introduces a diverse array of characters, each portrayed with their flaws and virtues. These characters come alive on the page, drawing readers into their journeys.

In "Birthday Party," a mother yearns to celebrate her son's birthday to prove their worth to neighbours, but in-laws have differing ideas, highlighting generational conflicts. Here, author presents a fresh perspective, more vividly realized than the last. His characters are not mere sketches but fully developed individuals, flawed yet relatable, all seeking meaning in their lives. 

"Mrs. Simon is Waiting" unfolds in Simon's Villa, where a homeopathic doctor offers free treatments. When tragedy strikes, the clinic's future hangs in the balance, posing questions about who will carry forward the doctor's legacy.

The stories shine through Sneha Pathak's beautiful translation, preserving the essence while making them accessible to a wider audience. Pathak's prose is both simple and profound, ensuring that readers from all backgrounds can connect with the themes presented.

"Mrs. Simon is Waiting and Other Stories" is a perfect weekend read, celebrating the art of storytelling.


About the Author

Dinesh Pathak was born in Uttarakhand in May 1950. He has been writing for close to fifty years, and his stories have appeared in all leading Hindi publications. He has published ten short-story collections and three novels. He has also edited an anthology. His stories have been translated into various Indian languages. He retired from the post of Associate Professor and now dedicates his full time to writing. 

Translator:

Sneha Pathak has a PhD in English Literature and has taught at college and university level. She currently works as a freelance writer/translator. Her writings have appeared various publications such as Muse India, Purple Pencil Project, The Wise Owl Magazine, The Curious Reader etc.

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P.S. Received a review copy in exchange for an honest review.