ANKITA's DNA
Of words and pauses
June 16, 2019
पिता
तुम्हें एक दिवस में
समेटूँ कैसे
तुम्हारा होना
पूरा युग है
सपनों की नींव
उम्मीद के सिक्के
नींदों में धूप
इन्द्रधनुषी बस्ते
शब्दों की डुगडुगी
कागज़ की नाव
गेहूँ की गमकती बाली-सा
तुम्हारी यादों का गाँव
―
पिता
Sketch by Nirmal Saxena
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