‘उपहार’ शब्द अपने आप में ही
खुशी का पर्याय है और उपहार
में मिली किताब तो ज़िंदगी का सबसे बेहतरीन तोहफा (kind of blessing) होती है।
डॉ. सारिका मुकेश जी का
ब्लॉग पढ़कर यूँ ही पूछ बैठी थी मैं “Ma’am What is Haiku?” और
सारिका जी ने अपनी पुस्तक “हवा में
शब्द” हाइकू-संग्रह
उपहार स्वरूप भेजी। तमिलनाडू से राजस्थान तक का सफर करके आयी सारिका जी के इस
संग्रह ने मेरे अंतर्मन की सतहों को
छुआ।
डॉ. सारिका मुकेश एक अध्यापिका (V.I.T University) होने के
साथ साथ एक लेखिका (Poet) और बहुत
ही खूबसूरत शख्सियत भी हैं। (Not
only her words but her voice is full of Optimism, It’s like an honor to talk to
her.)
सारिका जी के कविता-संग्रह “ख़िल उठे पलाश” व “एक किरण उजाला” के बाद यह “हवा में शब्द” हाइकू-संग्रह पढ़ने का अवसर
प्राप्त हुआ, जिसके
लिए मैं उनका तहे-दिल से
शुक्रिया करती हूँ।
हिन्दी साहित्य जहां धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रहा हैं वहीं सारिका
मुकेश जैसे लेखक हिन्दी की जड़ों को अपने अहसास रूपी शब्दों से सींच रहें हैं, हिन्दी को मजबूत बना रहे
हैं।
हाइकू मूलतः जापनी विधा है, संसार की सबसे छोटी पर अपने में पूर्ण कविता। यह मात्र तीन पक्तियों
में केवल 17 वर्णों (5-7-5) में पूर्ण रूप से व्यक्त होत्ती है। सारिका जी का यह
प्रयास काबिल-ए-तारिफ है! उनकी संग्रह से कुछ खूबसूरत हाइकू-कविताएँ..
तुम ना लौटे
गुज़रे वक़्त जैसे
रही प्रतिक्षा
तकते रहे
सब एक दूजे को
शब्द थे मौन
तपते होंठ
खिला हुआ गुलाब
बेचैन शब्द
खिला सा मन
दहकते अधर
गुलमोहर
बच्चे को लगे
सबसे महफूज़
माँ का आँचल
लिखने लगी
नभ पटल पर
गीत चाँदनी
यहाँ ना कुछ
गूँजते हैं तो सिर्फ
हवा में शव्द
ऐसी ही सारगर्भित हाइकू-कविताओं का संग्रह है “हवा में शब्द” जिन्हें पढ़कर मुझे निदा
फाज़ली जी की कुछ पक्तियाँ याद आती हैं
“साहिल की
गीली रेत पर बच्चों के खेल-सा,
हर लम्हा मुझ में बनता बिखरता हुआ सा कुछ॥
Blog link of Dr. Sarika Mukesh - http://sarikamukesh.blogspot.in/
P.s – Congratulations Ma’am for “Sahitya
Shri and Shiksha Ratna Samman”. More power to your pen!