ANKITA's DNA
Of words and pauses
April 22, 2014
जब कुछ लिखती हूँ !
Photo Courtesy ; Google
जब-जब कुछ लिखती हूँ,
तुझे थोड़ा-थोड़ा जी लेती हूँ मैं...
मानस पटल पर
बिखरी
तेरी यादों को,
खामोशी के
कागज़ पर उतार,
खुद को
जीने की वज़ह देती हूँ मैं
…
जब-जब कुछ लिखती हूँ,
तुझे थोड़ा-थोड़ा जी लेती हूँ मैं...!!
- अंकिता चौहान
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