August 23, 2013

रुख़सत



दिलों से खेलती इस उलझन को
तू रुख़सत कर दे,
लबों पर ठहरी हुई इस अनबन को
तू अब रुख़सत कर दे ...

जवाब जब भी ढूँढेगा तू
तन्हाइयों के,
हज़ारों लम्स बिखर जाएगें
रुसवाईयों के,
खिलखिलाती ज़िन्दगी का
हर पल जी ले ज़ानिब,
बेरंग टूटे ख्वाबों को
तू अब रुख़सत कर दे ...

तेरे होने न होने का अर्थ
जो तुझसे खो सा गया,
ख्वाहिशों के पंख खुलने का स्वर
जो तुझसे खो सा गया,
समय की रेत पर
फिर नई इबारतें लिख ज़ानिब,
अतीत की टूटी इमारतों को
तू अब रुख़सत कर दे ...

ज़र्रे-ज़र्रे में बहता था जो
खुशफहमी बन,
बेमाने हर उस शक्स,
हर उस रिश्ते को
तू अब रुख़सत कर दे ...!!


- Ankita chauhan