तुमने लिस्ट चेक कर ली? कुछ और चाहिए तो अभी बता दो, वहाँ पापा नहीं मिलेंगे मैंने कहा। मैं उससे ज्यादा शायद खुद को विश्वास दिला रहा था कि कुछ दिन बाद निखिल मेरे साथ नहीं होगा।
आप तो ऐसे बोल रहे हैं जैसे मैं हमेशा के
लिए जा रहा हूँ कहते हुए वो दरवाजे पर एक थपकी देकर कमरे से चला गया। उसकी हथेली की
वो थाप उस दरवाजे पर नही जैसे मेरे दिल पर लगी थी। जाने के बाद वापस लौटना क्या इतना
आसान होता है, क्या मैं लौट पाया वापिस कभी अपने घर? ये सवाल मेरा खुद से था,
जिसका जवाब ढूंढने की ना जाने क्यूँ मैंने कभी कोशिश ही नहीं की?