यहाँ छत पर मेरे सामने खड़ा ये बत्तमीज
लड़का क्या वाकई मेरे बचपन का दोस्त कुनाल था? उसके कहे शब्द “अब तुम इतनी भी अजनबी नहीं हो” मेरे दिलो-दिमाग में गूँज रहे थे। धड़कनों
में शोर था लेकिन मैं चुप थी। क्या जबाव देती उसे? बचपन का वो पक्का दोस्त जो कहीं
खो गया हो उसके अचानक सामने आने पर, क्या जवाब दिया जाता होगा, ये मुझे पता ही
नहीं था।