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नीलेश मिसरा का नाम जब भी दिखाई या सुनाई देता है
तो “उनका ख्याल” ज़हन में गुनगुनाने लगता है। इसी गीत के जरिये तो नीलेश जी मेरी
म्युज़िक लिस्ट में शामिल हुए थे। शायद ही कोई भारतीय हो जो नीलेश मिसरा (Neelesh Misra Sir) , के नाम से अनभिज्ञ हो| इनकी शख्सियत एक गुलाब की कली की तरह है जितनी
परतें खोलते जाते हैं उतना ही ये आपको आश्चर्य में डालते जायेंगे। अलसाई सी सुबहों
में जब आप आँख मलते हुए उठते हैं तो नीलेश जी अपने अखबार गाँव कनेक्शन के जरिये आपसे
मिलते हैं, दिन में उनके लिखे गीतों को आप सुनते हैं और रात में फिर रेडियो पर आकर
धीमी सी दस्तक देते हैं जैसे कह रहे हों “अभी कैसे सोने चले जनाब, अभी मैं जाग रहा
हूँ”, और फिर दिल को सुकून पहुंचाती उनकी आवाज़ व उनके नेतृत्व में मंडली द्वारा
लिखित कहानियाँ। अभी इतना ही जान पाई हूँ नीलेश जी के बारे में पर विश्वास कीजिए
अभी काफी कुछ एक्सप्लोर करना बाकी है, शायद।
फ़िलहाल नीलेश जी अपने एक नए प्रोग्राम “रामराज्य”
को लेकर सुर्खियों में हैं। यूँ तो पहले भी नीलेश जी दूरदर्शन पर गाँवों के
विकास सम्बन्धित एक कार्यक्रम में दिख
चुके हैं, और अब ABP
News पर उन्हें देखना,
सुनना, इस बार देखते हुए सुनना, अनुभव शब्दों में बयां करना मुश्किल है।
रामराज्य एक पहल है, कुछ-एक चुने हुए दिग्गजो
द्वारा भारतीयों को विकास का सही मतलब समझाने की। जब हर किसी चैनल पर अपने अपने धर्म
को लेकर राजनीति करते हुए कुछ नेता गण अपना आपा तक खो बैठते है। वहीं नीलेश जी अपनी
मधुर आवाज़ में, इस छोटे से प्रयास से वास्तविकता में रामराज्य के दर्शन करा जाते
हैं, दिल तक पहुँचती उनकी आवाज़ हौले से कह जाती है “मंदिरों और मस्ज़िदों से पहले
खुशियाँ अपनों कि दी गई मुस्कानों मॆं बसती है, अपनों के लिए - अपने देश के लिए
कुछ करके देखिये, वही रामराज्य है”
रामराज्य के पहले एपीसोड में नीलेश जी और ABP News Team हमें घर
बैठे क्यूबा लेकर गयी। क्यूबा का नाम सामान्य ज्ञान में Cuba’s Boxing Success के अंतर्गत पढ़ा था। लेकिन नीलेश जी ने एक नए
क्यूबा से मिलवाया जो कि विकासशील देश होते हुए भी स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर इतना जागरूक
है, कई देशों को पीछे छोड़ देता है। इस
प्रोग्राम में दिखाए जाने वाले तथ्य और आंकड़े आपको सोचने पर मज़बूर करते हैं कि आखिर
रामराज्य होता क्या है और अब तक हम भारतीय गांधारी की तरह आँखों पर पट्टी बाधें
वही देख सुन रहे थे जो इतने समय से सिखाया जा रहा था।
क़्यूबा के एक अधिकारी कहते हैं -
“भले हमारे देश में नये मॉडल की कारें नहीं है
क़िंतु आपको हमारी सड़कों पर रोते बिलखते भूखे बच्चे नहीं दिखेंगे।
हमारे देश में आधे डॉक्टर ट्रांसफर को लेकर समय
बर्बाद नहीं करते हम उन्हीं के शहर में रोजगार उपलब्ध करवाते हैं।“
घर बैठे स्वास्थ्य सेवाएं इसके बारे में हम भारतीय
कभी कल्पना भी नहीं कर सकते, जबकि क्यूबा की सरकार मानती है कि हम अपने देश में prevention पर अधिक
ध्यान देते हैं, हम अपनी जनता को वह सुविधायें उप्लब्ध करवाते हैं जिससे इलाज़ करवाने
के दर्द तक उनको पहुचना ही ना पड़े।
प्रोग्राम के खत्म होने पर दूसरे दिन “संभव है” के
जरिए इस बात पर चर्चा की जाती है हल खोजने की एक कोशिश की जाती है, भारत में वो सुविधाएं क्यूं अब तक
उप्लब्ध नहीं है और हमारी सरकार इस पर क्या कर रही है। यहां सरकारे “मुफ्त दवायें,
मुफ्त इलाज़” के नारे के साथ पूरा चुनाव जीत लेती हैं जो कि इन नेताओं द्वारा हम पर
की गई कोई मेहरबानी नहीं हमारा अधिकार है। कई जवाबों और सवालों की ओर हेल्थ
मिनिस्ट्री का ध्यान आकर्षित कर नीलेश जी और उनकी टीम रामराज्य का एक नया अध्याय
खोजने निकल जाती है। इस महत्वपूर्ण पहल के लिए नीलेश Sir और ABP News Team को हार्दिक धन्यवाद! शनिवार का इंतजार रहेगा !
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P.s – it is jus’ a small
effort to show some gratitude towards the person who eventually became the important
part of our lives through immense presence of his voice. Keep Shining Sir!