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हम तेरे इस जहां में बूंद भर इंसान ढूंढ़ते हैं ...
कुछ कुरान में बताया कुछ कृष्ण ने सिखाया
खो-सा गया हमसे मोहब्बत का
वो पैगाम ढूंढ़ते हैं
हम तेरे इस जहां में बूंद भर इंसान ढूंढ़ते हैं ...
यथार्थता , इंसानियत
चंद कतरे वफा और चाँद भर रुमानियत
इन बुनियादी लहज़ो,
बेज़ुबान हुए लफ्ज़ो को
बेज़ुबान हुए लफ्ज़ो को
दिल से महसूस करने वाली
इक ज़ुबान ढूंढ़ते हैं
हम तेरे इस जहां में बूंद भर इंसान ढूंढ़ते हैं ...
तारों से झिलमिलाता आकाश
और उसे एकटक तकने के लिये खुली छत
खुली छत पर पसरे,
अपने नन्हे-नन्हे ख्वाबों का फ़लक निहारते बच्चे
उन्ही बच्चों के
लिखित अलिखित अरमान ढूंढ़ते हैं
हम तेरे इस जहां में बूंद भर इंसान ढूंढ़ते हैं ...
कुछ गम दुनिया से छुपाते हैं हम
और कुछ शायद
खुद से भी
खुद से भी
पढ़के हमारी आँख़ों से दर्द का हर पन्ना
और उस पन्ने पर तैरते
संज्ञाहीन लम्हों में जो
भर दे ज़िंदगी
संज्ञाहीन लम्हों में जो
भर दे ज़िंदगी
ऐसा दिल-ए-नादां ढूंढ़ते हैं
हम तेरे इस जहां में बूंद भर इंसान ढूंढ़ते हैं ...!!
- अंकिता चौहान