April 21, 2017

Lamha Lamha Zindagi : Qisson Ka Kona with Neelesh Misra



यहाँ पहले दिन सब कुछ अजीब था। लगा आँखो के सामने डॉक्यूमैंटरी-फिल्म चल रही हो। दिल्ली, शहर था या रंगीन दिलों का अजायबघर, नहीं जानती। आसमान को चीरती उँची बिल्डिंग्स। कहीं न खत्म होने वाली सड़के और उनपर इतनी गाडियाँ कि दिन में तो सड़के दिखाई ही नहीं देती थीं।


सबसे अजीब मुझे वो मैट्रो लगी। जिसका लेडीज़ कम्पार्टमेंट जैसे गुल्लक में बजते सिक्के। कुछ दिन जरूर मुझे उलझन महसूस हुई...फिर लगा जैसे मैं इन लड़कियों को पहचानती थी। हर किसी के चेहरे पर फिक्र, आँखों में बैचेनी, जैसे घर की दहलीज पार करने के बावजूद भी वो अब-तक कहीं अटकी थीं। यही सब तो था जो मैं जोधपुर में छोड़कर यहाँ दिल्ली चली आयी थी। मेरी बचपन की दोस्त आमेरा के पास।